भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा 28 अगस्त 2017 को जारी बयान में कहा गया कि भारत और चीन के मध्य आपसी सहमति से विवाद सुलझा लिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों देश डोकलाम से सेना हटाने को तैयार हो गये हैं.
दोनों देशों द्वारा डोकलाम क्षेत्र से अपनी-अपनी सेनाएं हटाये जाने पर सहमति के साथ यह प्रक्रिया आरंभ की गयी. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत एवं चीन के मध्य डोकलाम को लेकर हुई कूटनीतिक बातचीत द्वारा यह रास्ता निकला है.
गौरतलब है कि सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन जा रहे हैं. उससे पहले इस विवाद का सुलझ जाना भारतीय कूटनीति की जीत मानी जा रही है.
इससे पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 अगस्तन को कहा था कि भारत और चीन के मध्य डोकलाम सीमा विवाद को बेहद जल्द सुलझा लिया जाएगा. सिंह ने कहा, “भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते कायम रखना चाहता है. डोकलाम विवाद का जल्द ही समाधान निकल जाएगा और चीन भी अपनी ओर से सकारात्मक कदम उठाएगा.”
क्या था विवाद
भारत और चीन के बीच डोकलाम क्षेत्र को लेकर हो रहे विवाद को आखिर दो माह बाद विराम दिया गया. इस विवाद का मुख्य कारण सिक्किम-भूटान-चीन का एक ऐसा क्षेत्र है जहां तीनों देशों की सीमाएं आपस में मिलती हैं. इस क्षेत्र को डोकलाम क्षेत्र कहा जाता है. चूंकि यह क्षेत्र चीन के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और वह वहां सड़क बना रहा है इसलिए भारत द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गयी. भारत ने चीन के इस सड़क निर्माण कार्य को आगे बढ़ने से रोका तो इससे दोनों देशों के मध्य गतिरोध उत्पन्न हो गया. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी रहीं जबकि भारतीय सैनिकों ने लद्दाख में भी चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश को नाकाम कर दिया.
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