Chris Hipkins: क्रिस हिपकिंस बने न्यूजीलैंड के 41वें प्रधानमंत्री, जानें भारत-न्यूजीलैंड सम्बन्ध के बारें में
न्यूजीलैंड के 41वें प्रधानमंत्री के रूप में क्रिस हिपकिंस (Chris Hipkins) ने शपथ ली है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई थी. कार्मेल सेपुलोनी ने उप प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है.

New PM of New Zealand: न्यूजीलैंड के 41वें प्रधानमंत्री के रूप में क्रिस हिपकिंस (Chris Hipkins) ने शपथ ली है. वह न्यूजीलैंड की पॉलिटिक्स के एक कद्दावर नेता है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई थी.
हाल ही में यूजीलैंड की पीएम जेसिंडा अर्डर्न ने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी जिसके बाद से नए पीएम की तलाश जारी थी. हिपकिंस के साथ कार्मेल सेपुलोनी (Carmel Sepuloni) ने उप प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है.
क्रिस हिपकिंस पीएम पद पर इस वर्ष के अक्टूबर महीने तक रहेंगे जिसके बाद देश में आम चुनाव प्रस्तावित है. वह ऐसे समय में देश के पीएम बने है जिस समय वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की चुनौतियाँ है. साथ ही लेबर पार्टी के लिए भी कम चुनौतियाँ नहीं है.
#ChrisHipkins sworn in as 41st Prime Minister of #NewZealand. pic.twitter.com/cR2aepCuu5
— All India Radio News (@airnewsalerts) January 25, 2023
क्रिस हिपकिंस के बारें में:
क्रिस हिपकिंस का जन्म 5 सितंबर 1978 को हट वैली, न्यूजीलैंड में हुआ था. हिपकिन्स विक्टोरिया विश्वविद्यालय वेलिंगटन में स्नातक शिक्षा हासिल की है. उनका पूरा नाम क्रिस्टोफर जॉन हिपकिंस है.
हिपकिंस का पॉलिटिकल करियर:
क्रिस हिपकिंस पहली बार वर्ष 2008 में रेमुताका (Remutaka) से सांसद बने थे. वह नवंबर 2020 में कोविड-19 की देखरेख के लिए मंत्री के रूप में नियुक्त हुए थे. वह 2008 से लगातार रेमुताका से सांसद चुने जा रहे है.
वह पूर्व पीएम जेसिंडा अर्डर्न के कार्यकाल के दौरान शिक्षा और सार्वजनिक सेवा मंत्री के पद पर भी रह चुके है.
21 जनवरी 2023 को, जैकिंडा अर्डर्न के इस्तीफे की घोषणा के बाद, हिपकिंस लेबर पार्टी के नेता के रूप में एकमात्र उम्मीदवार थे. वह लेबर पार्टी के 18वें लीडर भी बने है.
सितंबर 1997 में संसद में टर्शियरी रिव्यू ग्रीन बिल का विरोध करते हुए हिपकिंस सहित दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
क्या है हिपकिंस के लिए चुनौतियाँ?
हिपकिंस के सामने वैश्विक मुद्दों के अतिरिक्त अन्य देश के आन्तरिक मुद्दे है जो आने वाले समय में उनके लिए चुनौती पेश करेंगे. हालांकि पीएम की शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा है कि मैं आने वाली किसी भी प्रकार की चुनौती के लिय तैयार और ऊर्जावान हूँ.
देश की प्रगति के मुद्दों के अलावा उनके सामने लेबर पार्टी को, आगे आने वाले इलेक्शन के लिए तैयार रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि मुख्य विपक्षी दल नेशनल पार्टी की तुलना में उनकी पार्टी का जनाधार बेहतर है जो हिपकिंस के लिए राहत की बात है.
भारत-न्यूजीलैंड सम्बन्ध:
वर्ष 1952 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित हुए थे. दोनों देश कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे. न्यूजीलैंड के वेलिंगटन में भारत का उच्चायोग स्थित है साथ ही ऑकलैंड में एक मानद वाणिज्य दूतावास भी है, जबकि न्यूजीलैंड का नई दिल्ली में एक उच्चायोग है.
वर्ष 2016 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी न्यूजीलैंड की यात्रा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति बने थे. हालांकि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग काफी सिमित है लेकिन दोनों देशों के व्यापारिक सम्बन्ध काफी मजबूत है. भारत न्यूजीलैंड के मध्य फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) भी लागू है.
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