मुख्य न्यायाधीश ने पांच जजों की संवैधानिक पीठ का गठन किया, चार जज शामिल नहीं

Jan 16, 2018, 10:27 IST

इसमें उन चारों वरिष्ठ न्यायाधीशों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है जिन्होंने हाल ही में प्रेस कांफ्रेस की थी.

CJI Forms Constitutional Bench of 5 judges
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भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी 2018 को महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन की घोषणा की.

इस पीठ में उन चारों वरिष्ठ न्यायाधीशों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है जिन्होंने हाल ही में प्रेस कांफ्रेस की थी.

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. यह पीठ 17 जनवरी से महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी.

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यह संवैधानिक पीठ निम्नलिखित महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी:

•    जस्टिस के. पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार: आधार की उपयोगिता तथा क्या आधार वयक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है इसको लेकर पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित की गयी है. आधार को आवश्यक दस्तावेज़ के रूप से सभी बैंक खातों, मोबाइल फोन आदि सेवाओं से जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है.

•    जोसेफ साइन बनाम केंद्र सरकार: इस मामले में संविधान पीठ देखेगी कि क्या परस्त्रीगमन को दंडित करने तथा इससे संबंधित आईपीसी की धारा को संवैधानिक घोषित करने वाले पूर्व के फैसलों पर फिर से विचार करने की जरूरत है. खासकर सामाजिक प्रगति, मूल्यों में बदलाव, लैंगिक समानता और लैंगिक संवैदनशीलता को देखते हुए क्या यह जरूरी है.

•    यंग लायर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य: यह संवेदनशील मामला केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं (10 से 50 वर्ष की) के प्रवेश से सम्बंधित है. याचिका में कहा गया है कि महिलाओं के प्रवेश पर रोक लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

•    नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत राज्य: संविधान इस मामले दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर फिर से विचार करेगी, जिसने समलैंगिक सबंधों को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 को वैध ठहराया था.

•    गूलरोख एम. गुप्ता बनाम सैम रूसी चौथिया: इसमें पीठ फैसला करेगी कि पारसी महिला के विशेष विवाह कानून (स्पेशल मैरिज एक्ट) के तहत दूसरे धर्म में विवाह करने पर उसका धर्म क्या होगा? हिंदू व्यक्ति से विवाह करने पर इस महिला को पारसियों ने धर्म से बाहर कर दिया था.

•    पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम भारत राज्य: इस मामले में कोर्ट फैसला करेगा कि आपराधिक मामलों को सामना कर रहे कानून निर्माताओं को ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होने के बाद चुनाव के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाना चाहिए.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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