वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण फैलाने वाले ऐसे पटाखे विकसित किये हैं. यह पटाखे न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि परम्परागत पटाखों की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत सस्ते हैं.
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. इन पटाखों को सेफ वॉटर रिलीजर (स्वास), सेफ मिनिमल एल्युमिनियम (सफल) और सेफ थर्माइट क्रैकर (स्टार) नाम दिया गया है.
मुख्य बिंदु
• पारंपरिक पटाखों से निकलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए देश के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे फार्मूले को तैयार किया है जिससे आने वाले वक्त में बच्चे और बड़े दोनों के पास ऐसे पटाखे होंगे जिनसे बहुत कम प्रदूषण होगा.
• इन पटाखों को सीएसआईआर और नीरी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है और पीईएसओ संस्था के द्वारा पटाखे बनाने वालों को इनके बनाने का लाइसेंस दिया जाएगा.
• ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों जैसे ही होंगे लेकिन इनके जलने से कम प्रदूषण होता है.
• ग्रीन पटाखों से सल्फर डाई आक्साइड और पोटेशियम नाइट्रेट के उत्सर्जन में 30 प्रतिशत तक कमी आ जाती है जिसके चलते पीएम लेवल में भारी कमी आती है.
• वर्तमान समय में तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए जा रहे हैं इनमें से कुछ पटाखे जलने के साथ पानी भी पैदा करेंगे.
अन्य लाभ |
भारतीय पटाखा उद्योग की कुल वार्षिक बिक्री 6,000 करोड़ रुपये है और यह पांच लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करता है. इस प्रयास का उद्देश्य प्रदूषण से जुड़ी चिन्ताओं को दूर करने के साथ ही इस व्यापार में लगे लोगों की आजीविका की रक्षा करना है. |
सीएसआईआर के बारे में
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), भारत सार्वजनिक रूप से निधिबद्ध विश्वा के विशालतम अनुसंधान एवं विकास संगठनों में से एक प्रमुख राष्ट्री य अनुसंधान एवं विकास संगठन है. इसकी स्थापना वर्ष 1942 में हुई थी. यह एक स्वायत्त संस्था है तथा भारत के प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं. सीएसआईआर 37 अत्याधुनिक संस्थान का ऐसा समूह है, जिसकी गिनती विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संगठनो में होती है. सीएसआईआर को 8000 अनुसंधान विद्यार्थियों, 4600 वैज्ञानिक तथा 8000 वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारियों की विशेषज्ञता और अनुभव प्राप्त है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation