भारत में कभी एक समय ऐसा भी था, जब बाल विवाह अपने चरम पर था। छोटी उम्र में ही लड़का और लड़की की शादी कर दी जाती थी। हालांकि, समय के साथ शिक्षा का महत्त्व बढ़ा और बाल विवाह पर सख्ती बढ़ी।
इस कड़ी में भारत के अलग-अलग राज्यों में इस प्रथा को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि हाल ही में भारत में एक जिला ऐसा भी बना है, जो पूरी तरह से बाल विवाह मुक्त जिला बन गया है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत में बाल विवाह प्रतिबंधित कानून कब आया
भारत में बाल विवाह को प्रतिबंधित करने वाला कानून 2006 में लाया गया था। इसे बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के नाम से जाना जाता है, जो कि 1 नवंबर, 2007 से लागू हुआ था।
भारत में क्या है विवाह की न्यूनतम आयु
भारत में कानूनन विवाह की न्यूनतम आयु की बात करें, तो यह लड़कों के लिए कम से कम 21 वर्ष है। वहीं, लड़कियों के संदर्भ में यह कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि, आपको बता दें कि महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को 21 करना विचाराधीन है। इसे लेकर बाल विवाह निषेध(संशोधन) विधेयक, 2021 पर विचार चल रहा है।
बाल विवाह पर क्या है दंड
भारत में बाल विवाह करना कानूनी अपराध है। इसके तहत कम से कम दो वर्ष तक का कठोर कारावास की सजा है। वहीं, एक लाख रुपये जुर्माना या फिर कठोरावास, दोनों हो सकते हैं। यह अपराध संज्ञेय है गैर-जमानती होता है।
भारत का पहला बाल विवाह मुक्त जिला कौन-सा है
अब सवाल है कि भारत का पहला बाल विवाह मुक्त जिला कौन-सा है, तो आपको बता दें कि यह छत्तीसगढ़ का बालोद जिला है। राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से बालोद को बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है। इसके तहत यहां की 436 ग्राम पंचायतें व नौ शहरी निकाय पूरी तरह से बाल विवाह मुक्त हो गई हैं। इसे लेकर औपचारिक प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए हैं।
बीते दो सालों से एक भी नया मामला नहीं
सरकार के मुताबिक, बीते दो वर्षों में देखें, तो यहां बाल विवाह का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। राज्य सरकार का 2028-29 तक राज्य को पूरी तरह से बाल विवाह मुक्त करने का लक्ष्य है।
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