IEA ने अपने बयान में 30% मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिए सभी वाहनों को शून्य उत्सर्जन में बदलने बताई जरूरत

Nov 16, 2021, 20:04 IST

दुनिया की जलवायु चुनौती को हल करने के लिए IEA ने पूरे समय काफी सक्रिय भूमिका निभाई है और कई तरह के आयोजनों में भाग लिया है ताकि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के माध्यम से दुनिया की जलवायु चुनौती का समाधान किया जा सके.

Cutting 30% methane emissions like switching all vehicles to zero emissions: IEA
Cutting 30% methane emissions like switching all vehicles to zero emissions: IEA

दुनिया की जलवायु चुनौती को हल करने के लिए IEA ने पूरे समय काफी सक्रिय भूमिका निभाई है और कई तरह के आयोजनों में भाग लिया है ताकि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के माध्यम से दुनिया की जलवायु चुनौती का समाधान किया जा सके.

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का परामर्श

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अभी हाल ही में यह कहा है कि, अगर दुनिया वर्ष, 2030 तक मानव गतिविधि से मीथेन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कटौती हासिल कर लेती है, तो इसका ग्लोबल वार्मिंग पर उतना ही प्रभाव पड़ेगा जितना कि दुनिया की सभी कारों, ट्रकों, जहाजों और विमानों - अर्थात संपूर्ण वैश्विक परिवहन क्षेत्र - को शुद्ध शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) प्रौद्योगिकियों से बदलने से पड़ सकता है.

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को कैसे तेज किया जाए, इस पर दो सप्ताह की गहन चर्चा के बाद, ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) शनिवार रात को संपन्न हुआ.

दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा किये जा रहे हैं विशेष प्रयास

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह घोषणा की है कि, उनका देश वर्ष, 2030 तक ऊर्जा से संबंधित मीथेन उत्सर्जन में 75 प्रतिशत की कमी के IEA लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

बिरोल ने संयुक्त अरब अमीरात के जलवायु परिवर्तन के लिए विशेष दूत सुल्तान अहमद अल जबेर के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी की, जिसमें उन्होंने UAE सरकार और IEA के बीच सहयोग पर चर्चा की ताकि वर्ष, 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए खाड़ी देशों के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने और लक्ष्य के साथ ही, उस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के प्रयासों का समर्थन किया जा सके.

इंडोनेशिया के ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्री अरिफिन तसरिफ के साथ एक बैठक में, बिरोल ने ऊर्जा संक्रमण पर IEA-इंडोनेशिया सहयोग के मजबूत और बढ़ते कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें इस देश का शुद्ध शून्य रोडमैप और वर्ष, 2022 में G20 प्रेसीडेंसी के लिए ऊर्जा एजेंडा भी शामिल है.

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COP26 के पहले सप्ताह के दौरान, IEA ने नए विश्लेषण पर एक टिप्पणी प्रकाशित की जिसमें यह दिखाया गया है कि, यदि 03 नवंबर तक दुनिया भर के देशों द्वारा की गई सभी जलवायु प्रतिज्ञाओं - मीथेन के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन को कम करना - पूर्ण और समय पर पूरा कर लिया जाता है तो यह इस सदी में वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.8 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर देगा.

यह उस समय की जलवायु प्रतिज्ञाओं के आधार पर, अक्टूबर के मध्य में विश्व ऊर्जा आउटलुक, 2021 के घोषित प्रतिज्ञा परिदृश्य द्वारा अनुमानित 2.1 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के विपरीत एक उल्लेखनीय सुधार है.

UK के COP26 प्रेसीडेंसी के अनुरोध पर, IEA ग्लासगो ब्रेकथ्रू के खिलाफ वैश्विक प्रगति की ट्रैकिंग का नेतृत्व कर रहा है - स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की लागत को कम करने के उद्देश्य से पांच लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं. इन लक्ष्यों को पूरा करना सरकारों की दीर्घकालिक शुद्ध-शून्य प्रतिज्ञाओं की उपलब्धि को साकार करने के लिए आवश्यक होगा.

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