दिल्ली कैबिनेट ने वायु प्रदूषण से निपटने हेतु एक बड़ा कदम उठाते हुए इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 (Delhi Electric Vehicle Policy 2019) को मंजूरी दे दी है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण से निपटना है. दिल्ली के प्रदूषण में सबसे ज्यादा हिस्सा वाहनों का होता है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा करते हुए कहा कि देश की राजधानी अब इलेक्ट्रिक वाहन की राजधानी बनेगी. दिल्ली सरकार ने ये फैसला दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने हेतु किया है. दिल्ली सरकार सार्वजनिक से लेकर निजी क्षेत्र को ई-वाहन के उपयोग हेतु प्रोत्साहित करेगी.
मुख्य बिंदु
• वाहनों की चार्जिंग हेतु प्रत्येक तीन किलोमीटर पर चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध होगी.
• दिल्ली सरकार के अनुसार, बिल्डिंग बॉयलॉज में बदलाव कर पार्किंग स्थल पर कम से कम 20 फीसदी पार्किंग में चार्जिंग की सुविधा दी जाएगी.
• नई पॉलिसी के अंतर्गत एक साल में 35 हजार इलेक्ट्रिक वाहन और 250 चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
• सरकार के अनुसार, इससे इन वाहनों से अपने लाइफ टाइम में छह हजार करोड़ रुपये का तेल और गैस की बचत होगी. इन वाहनों से 48 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा.
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ई-वाहन का लक्ष्य और सब्सिडी
इस पॉलिसी के तहत साल 2024 तक दिल्ली में पंजीकृत होने वाले वाहनों में से 25 प्रतिशत ई-वाहन का लक्ष्य रखा गया है. सरकार इसे प्रोत्साहन देने हेतु पंजीकरण और रोड टैक्स में छूट के साथ सब्सिडी भी देगी.
सरकार ने नई खरीदी जाने वाली बसों में से 50 फीसदी ई-बसें खरीदने का भी लक्ष्य रखा है. सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक ऑटो, ई-रिक्शा और ई-कैरियर्स की खरीद पर तीस हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी.
पृष्ठभूमि
ई-वाहन नीति का पहला मसौदा नवंबर 2018 में सार्वजनिक किया गया था. यह नीति संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय परिवहन परिषद, स्वच्छ परिवहन, निकाय जैसे कई विशेषज्ञ निकायों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद बनाई गई है. स्टेट इलेक्ट्रिक व्हीकल बोर्ड पूरी दिल्ली के अंदर इलेक्ट्रिक व्हीलक पॉलिसी को लागू कराएगा तथा उसकी निगरानी करेगा.
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