दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर से बढ़ने लगा है. इसी बीच डेनमार्क की सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. डेनमार्क की सरकार ने देश में प्रत्येक मिंक को मारने का फैसला किया है ताकि मनुष्यों में उत्परिवर्तित कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके.
यूरोप में कोरोना की लहर को देखते हुए इटली, स्पेन, ब्रिटेन समेत कई देशों ने फिर से पाबंदियां लगा दी हैं, जबकि कई अन्य देश भी लॉकडाउन की ओर अग्रसर हैं. कोरोना की सुरक्षित और कारगर वैक्सीन आने में अभी देर है और तबतक इस महामारी पर नियंत्रण के अन्य एहतियात और उपाय अपनाए जाने की जरूरत है.
मिंक को मारने का आदेश क्यों लिया गया?
डेनमार्क के स्वास्थ्य अधिकारियों को मिंक पालने वाले फार्म में ऐसे वायरस मिले हैं जो बीमारियों से लड़ने की क्षमता को कम कर देते हैं. यही वजह है कि डेनमार्क की सरकार ने डेढ़ करोड़ मिंक को मारने का आदेश दिया है.
डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने 04 नवंबर 2020 को बताया कि यह निर्णय भारी मन से लिया गया है, क्योंकि स्वास्थ्य अधिकारियों की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाना जरूरी था. प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसेन ने बताया की जानलेवा कोरोना वायरस ने मिंक में उत्परिवर्तित कर गया है, जिससे वायरस का म्युटेड फॉर्म मनुष्यों में फैल गया है.
डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने मनुष्यों और चूहों में कोरोना वायरस के कुछ लक्षणों को पाया है, जो एंटीबॉडी के प्रति संवेदनशीलता में कमी दिखाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञ माइक रेयान ने कहा कि इंसानों की पूर्ण पैमाने पर वैज्ञानिक जांच के लिए बुलाया गया है. चीन में कोरोना से संक्रमित चूहों से यह वायरस मनुष्यों में जाने की बात कही.
डेनमार्क में 1.5 करोड़ से 1.7 करोड़ मिंक
डेनमार्क सरकार के अनुसार, वायरस को फैलने देने से यह भविष्य के संभावित टीकों की प्रभावशीलता को सीमित कर सकता है. अधिकारियों के अनुसार डेनमार्क में 1.5 करोड़ से 1.7 करोड़ मिंक हैं. जून से संक्रमित जानवरों को मारने की बार-बार कोशिशों के बावजूद देश के मिंक फॉर्म्स में कोरोनो का प्रकोप जारी है. मिंक को नीदरलैंड्स और स्पेन में भी खत्म किया गया था, क्योंकि वहां संक्रमण पाया गया था.
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