रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 19 अगस्त, 2021 को यह सूचित किया है कि, उसने एक उन्नत चैफ/ भूसा तकनीक विकसित की है जो भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को शत्रु के रडार लक्ष्यों से बचाने के लिए है.
भारतीय वायु सेना की वार्षिक रोलिंग/ सतत आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से, बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए सैन्य उद्योग को भूसा प्रौद्योगिकी दी गई है. यह एक महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक है जिसका उपयोग लड़ाकू विमानों को शत्रु देश के राडार लक्ष्यों से बचाने के लिए किया जाता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने IAF, DRDO और सैन्य उद्योग को इस महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी के सफल स्वदेशी विकास के लिए बधाई दी है. उन्होंने इसे रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मानिर्भर भारत की ओर DRDO का एक और सफल कदम करार दिया है.
लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत भूसा प्रौद्योगिकी
भारतीय वायु सेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL), पुणे के सहयोग से रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर द्वारा उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कार्ट्रिज-118/I विकसित किया गया है.
यह एडवांस्ड चैफ टेक्नोलॉजी एक इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर तकनीक है जिसका उपयोग विश्व स्तर पर सेनाएं अपनी संपत्ति, जैसेकि विमान और नौसेना के जहाजों की सुरक्षा के लिए करती हैं. यह प्रौद्योगिकी सैन्य संपत्ति को रेडियो और रडार आवृत्ति से बचाती है.
DRDO के अनुसार, आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में, लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता प्रमुख चिंता का एक विषय रहा है क्योंकि, आधुनिक रडार खतरों में प्रगति हो रही है.
DRDO ने आगे यह भी बताया कि, इन लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता के उद्देश्य से, काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम का उपयोग किया गया था जो इन्फ्रारेड और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जामिंग प्रदान करता है.
IAF जेट्स के लिए भूसा प्रौद्योगिकी का है विशेष महत्त्व
इस चैफ टेक्नोलॉजी का महत्त्व इस तथ्य में निहित है कि, हवा में बहुत कम मात्रा में तैनात भूसा सामग्री भी विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, दुश्मन की मिसाइलों को विक्षेपित करने का काम करती है.
नौसेना के जहाजों के लिए DRDO द्वारा इसी तरह की तकनीक
इस एडवांस्ड चैफ तकनीक को, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा अपने नौसेना के जहाजों को मिसाइल हमलों से बचाने के लिए तीन प्रकारों/ वैरिएंट्स के रूप में एक समान तकनीक विकसित करने के महीनों बाद, विकसित किया गया है.
भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में भारतीय नौसेना के जहाज पर इन तीनों वैरिएंट्स का परीक्षण किया जा चुका है और यह प्रदर्शन सफल रहा है.
नौसेना के इन जहाजों ने हवा में तैनात चैफ रॉकेट का इस्तेमाल किया था. ये मिसाइल निर्देशित प्रणालियों के लिए कई संभावित लक्ष्यों के तौर पर कार्य करते थे.
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