केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वन महोत्सव मनाने के लिए एक महीने तक चलने वाले पौधा रोपण अभियान का नेतृत्वा किया, यह 5 जुलाई 2017 से शुरू हो गया है. पौधा रोपण अभियान दिल्ली के रामलीला पार्क, सीसी कॉलोनी, मॉडल टाउन में आयोजित किया गया.
डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को स्थानीय देसी पौधे लगाने की सलाह दी है, क्योंकि यह स्थानीय जलवायु के अनुकूल होते हैं, तथा स्थानीय पक्षियों, कीड़ों और जानवरों के लिए भी सहायक होते हैं.
देश में वन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वन धन’ पर जोर देते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि जैव विविधता में सुधार और प्रकृति के साथ रहने की हजारों साल पुरानी हमारी संस्कृति का हिस्सा है. उन्होंने सभी राज्यों तथा लोगों से मानसून के दौरान बड़ी संख्या में पौधा रोपण करने का आग्रह किया.
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीेय स्तर पर भारत का निर्धारित अंशदान स्तर से 2.5 से लेकर 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण होगा और वर्ष 2030 तक अतिरिक्त जंगल के जरिए इसे कवर किया जा सकेगा.
डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों से ‘ग्रीन अम्बेंसडर’ बनने का आग्रह किया तथा मानसून के दौरान सक्रिय रूप से पौधा रोपण अभियान में भाग लेने की अपील की. इस अवसर पर लघु फिल्में और वृत्तचित्र, सम्मेलन तथा प्रदर्शनी, पेंटिंग और पोस्टर प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया.
वन महोत्सव:
वन महोत्सव की शुरूआत वर्ष 1950 में एक पौधा रोपण अभियान से हुई थी, जिसमें राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया था. पौधा रोपण अभियान की शुरूआत तत्कालीन कृषि और खाद्य मंत्री डॉ. के.एम. मुंशी द्वारा की गई थी, ताकि लोगों के बीच वन संरक्षण और पौधा रोपण को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके. इसी तरह यह महोत्सव भारत के अन्य राज्यों में भी मनाया गया.
वन महोत्सव प्रत्येक साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है और भारत के विभिन्न हिस्सों में यह अलग-अलग दिन मनाया जाता है. वन महोत्सव को मनाने के पीछे का कारण स्थानीय लोगों को पौधा रोपण अभियान में शामिल करना तथा उनके बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है.
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