केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विभिन्न दवाओं की उपलब्धता और उत्पादन को बढ़ाने के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना 2006 में संशोधन किया है. उक्त मंत्रालय ने 27 मार्च 2020 को अधिसूचना में यह संशोधन किया है.
इस संशोधन के तहत, मंत्रालय ने थोक दवाओं और मध्यस्थों (इंटरमीडियेट्स) के संबंध में सभी परियोजनाओं और गतिविधियों को फिर से वर्गीकृत किया है जो मौजूदा ’ए’ श्रेणी से ‘बी 2’ श्रेणी की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए निर्मित किए गए थे.
उद्देश्य
यह संशोधन लागू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य कोविड -19 महामारी के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति से निपटना और विभिन्न दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाना है.
मुख्य विशेषतायें
• वे परियोजनाएं, जो 'ए' श्रेणी में आती हैं, उन्हें अनिवार्य पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता होती है जिसमें आधारभूत डाटा और सार्वजनिक परामर्श का संग्रह शामिल होता है, जबकि 'बी 2' श्रेणी के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं को मूल्यांकन से छूट हासिल है.
• राज्य स्तर पर मूल्यांकन के विकेंद्रीकरण की सुविधा के लिए इन प्रस्तावों का पुनः वर्गीकरण किया गया है ताकि इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सके.
• यह कदम कम समय के भीतर देश में सभी महत्वपूर्ण दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करेगा.
• इस संशोधन के तहत, सितंबर 2020 तक प्राप्त होने वाले प्रस्तावों को फिर से वर्गीकृत किया जाएगा. ऐसे प्रस्तावों को शीघ्रता से लागू करने के लिए देश के सभी राज्यों को सलाह जारी की गई है.
पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्राप्त हुए प्रस्तावों के शीघ्र निपटान को सुनिश्चित करने के लिए वे वीडियो कॉन्फ्रेंस जैसी डिजिटल तकनीक का उपयोग करें. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रत्यक्ष बैठकों के माध्यम से इन सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन करना संभव नहीं है.
गत दो सप्ताह के भीतर इस श्रेणी के अंतर्गत 100 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. ये सभी प्रस्ताव वर्तमान में हमारे देश के विभिन्न राज्यों में संबंधित नियामक अधिकारियों द्वारा निर्णय लेने के विभिन्न स्तरों पर विचाराधीन हैं.
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