यूरोपियन संसद के कानूनविदों ने 05 जुलाई 2018 को विवादित यूरोपियन यूनियन कॉपीराइट कानून प्रस्ताव को रद्द कर दिया. यूरोपियन संसद के सदस्यों ने इसके विपक्ष में 318 वोट दिए जबकि 278 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट दिया. इस मतदान में 31 सदस्य अनुपस्थित रहे.
इस प्रस्ताव का प्रमुख तकनीकी कम्पनियों एवं इन्टरनेट फ्रीडम का पक्ष लेने वाले लोगों ने कड़ा विरोध किया है. इस प्रस्ताव के अनुच्छेद 13 का प्रमुखता से विरोध किया जा रहा है. इस अनुच्छेद में कहा गया है कि इन्टरनेट पर उपयोगकर्ता द्वारा डाले जाने वाली सामग्री कानूनी रूप से कॉपीराइट की जा सकती है.
प्रस्ताव से सम्बंधित विवादित तथ्य |
यह प्रस्तावित विधेयक जिसे कॉपीराइट डायरेक्टिव्स का नाम दिया गया है, के अंतर्गत कॉपीराइट के प्रावधानों का यूरोपियन यूनियन द्वारा आधुनिकीकरण किया जाना प्रस्तावित है. इसमें दो विवादित भाग शामिल हैं. अनुच्छेद 11, इसका उद्देश्य, गूगल एवं फेसबुक जैसी बड़ी कम्पनियों से समाचार पत्रों को सुरक्षा प्रदान करना है. इसके अनुसार, गूगल एवं फेसबुक समाचार पत्रों को बिना भुगतान किये उनकी सामग्री का उपयोग नहीं कर सकते. अनुच्छेद 13, इसका उद्देश्य, इन्टरनेट का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं को कॉपीराइट का अधिकार देना है. इसके अनुसार, यदि उपयोगकर्ता किसी भी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर कोई भी सामग्री, चित्र, साउंड अथवा कोड डालता है तो उपसर उसका कॉपीराइट होगा तथा वेबसाइट को उसे सुरक्षा प्रदान करना उसका उत्तरदायित्व होगा. |
कॉपीराइट प्रस्ताव का विरोध क्यों?
• आलोचकों का कहना है कि इससे इंटरनेट की स्वतंत्रता को खतरा उत्पन्न हो सकता है.
• कॉपीराइट फ़िल्टर लगाने से मीम और रीमिक्स जैसी कला को नुकसान होगा.
• आलोचकों का कहना है कि यूट्यूब के कॉपीराइट फ़िल्टर का खर्च 60 मिलियन डॉलर है यदि अनुच्छेद 13 लागू हो गया तो प्रत्येक वेबसाइट, जहां लिंक शेयर किया गया हो, अलग फिल्टर लगाना होगा जिससे यह एक महंगी एवं जटिल प्रक्रिया बन जायेगा.
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