केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने 21 नवम्बर 2017 को चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच और व्यापार तथा स्वास्थ्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर पहले विश्व सम्मेलन का उद्घाटन किया. भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य के सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिबद्ध है और भारत को सस्ते चिकित्सा उपकरणों के केन्द्र के रूप में विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
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केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा के संदर्भ में चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच और व्यापार तथा स्वास्थ्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर पहले विश्व सम्मेलन का उद्घाटन किया.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की सस्ते चिकित्सा उत्पाद विकसित करने के लिए उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के बीच सहयोग को इस प्रकार बढ़ाने की जरूरत है कि चिकित्सा क्षेत्र में नए अविष्कार और इस क्षेत्र की प्रगति जनसंख्या के बड़े हिस्से तक पहुंच सके.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की 2015 की राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति स्थानीय निर्माता को बहुउत्पाद, बहुविषयक उद्योग के लिए सक्षम बनाएगी. भारत में प्रतिदिन करीब 150 हजार घुटनों का इलाज किया जाता है. चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में अधिक निवेश और प्रभावी व्यक्तियों अथवा समूहों के अधिक संख्या में जुड़ने से कीमतें कम होगी और चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच बढ़ेगी क्योंकि अधिकतर सरकारें चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच और उनके मूल्यों को लेकर संवेदनशील हैं.
इस सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारत में डब्ल्यूएचओ के कंट्री ऑफिस के सहयोग से और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विधि सोसायटी की भागीदारी से किया है. इस सम्मेलन का उद्देश्य जानकारी का आदान-प्रदान करना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानूनों, अनुसंधान तथा नवोन्मेष में आधुनिक मुद्दों पर समझ बनाना है ताकि एसडीजी 2030 का एजेंडा हासिल करने के लिए चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच बन सके.
नियामक प्राधिकारों और फार्मा क्षेत्र के बीच पारदर्शिता के महत्व को उजागर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय नियामक प्राधिकारों और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के बीच समन्वय से नई स्वास्थ्य टेक्नोलॉजी को शुरू किया जा सकेगा और उसका पंजीकरण हो सकेगा. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों में प्रतिस्पर्धा की भूमिका के बारे में बातचीत और स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले संबंधित डब्ल्यूटीओ समझौतों पर विचार-विमर्श से सरकार को बड़े पैमाने पर नीतिगत विकल्प मिल सकेंगे.
स्रोत (पीआईबी)
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