भारत में लंबे समय से नेट न्यूट्रैलिटी की मांग की जा रही है जिसके तहत 11 जुलाई 2018 को भारत सरकार ने नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी प्रदान की. ट्राई द्वारा जारी सिफारिशों की सूची में कुछ समय पूर्व ही नेट न्यूट्रैलिटी को लागू किये जाने की सिफारिश की गई थी.
ट्राई की इस सिफारिश को दूरसंचार आयोग द्वारा मंजूरी प्रदान की गई. दूरसंचार आयोग के इस आयोग में विभिन्न मंत्रालयों की प्रतिनिधि शामिल हैं.
नेट न्यूट्रैलिटी का फायदा
• नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत के बाद कोई कंपनी इंटरनेट सुविधा देने में कोई भेदभाव नहीं कर पाएगी.
• प्राथमिकता के आधार पर किसी रुकावट को भी ग़ैरकानूनी माना जाएगा.
• रूकावट डालने पर जुर्माना भी लग सकता है और सख़्त कार्रवाई होगी.
• ये फ़ैसला मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट प्रोवाइडर्स, सोशल मीडिया कंपनियों सब पर लागू होगा.
• इस फैसले के बाद इंटरनेट सेक्टर में किसी एक ऑपरेटर का वर्चस्व भी संभव नहीं रह जाएगा.
• इसमें कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं जैसे रिमोट सर्जरी एवं स्वचालित कर जैसी सुविधाओं को बाहर रखा जायेगा.
ट्राई की सिफारिश
डिजिटल बुनियादी ढांचा आज भौतिक बुनियादी ढांचे के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है. दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सेवा प्रदाताओं के बीच ऐसे किसी प्रकार के समझौतों पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है जिससे इंटरनेट पर सामग्री को लेकर भेदभाव न हो. मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिये आयोग ने नई दूरसंचार नीति 'राष्ट्रीय डिजिटल कम्युनिकेशंस पॉलिसी 2018' को भी मंजूरी दे दी है.
नेट न्यूट्रैलिटी क्या है?
इसके तहत किसी भी इंटरनेट प्रदाता से कोई भी उपभोक्ता एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डेटा एक्सेस कर सकता है. अर्थात् इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो. किसी भी इंटरनेट प्रदाता को अपने नेटवर्क पर जानबूझकर किसी वेबसाइट या फिर किसी वेब कंटेंट को ब्लॉक या धीमा नहीं करना होगा.
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