केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 अगस्त 2017 को संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की.
इस मंजूरी के साथ ही ओबीसी क्रीमी लेयर की आय सीमा छह लाख रुपये से बढ़ाकर आठ लाख रुपये प्रतिवर्ष कर दिया गया. इसका अर्थ यह हुआ कि आठ लाख तक या उससे कम आय वाले ओबीसी परिवारों को आरक्षण मिल सकेगा. इससे पहले यह सीमा छह लाख रुपये थी.
मुख्य बिंदु
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ओबीसी के उप-वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित के निर्णय को मंजूरी दी गई.
• यह आयोग अपने अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा.
• इस आयोग को अन्य पिछड़ा वर्गो के उप वर्गीकरण पर विचार करने वाले आयोग के नाम से जाना जायेगा.
• आयोग की सेवा शर्तो में कहा गया है कि यह ओबीसी की व्यापक श्रेणी समेत जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण के बिन्दुओं पर विचार करेगा जो ओबीसी को संघ सूची में शामिल करने के संदर्भ में होगा.
• आयोग का उद्देश्य पिछड़ा वर्ग के उप वर्गीकरण के लिये वैज्ञानिक तरीके वाला तंत्र, प्रक्रिया, मानदंड और मानक का खाका तैयार करना है जो संघ सूची में दर्ज ओबीसी के समतुल्य संबंधित जातियों, समुदायों, उप जातियों की पहचान करके उसे वर्गीकृत कर सके.
केंद्र सरकार के इस निर्णय के फलस्वरूप ओबीसी श्रेणी के जिन लोगों की वार्षिक आय आठ लाख रुपये है वे आरक्षण ले सकेंगे. इससे पहले यह सीमा छह लाख रुपये हुआ करती थी. केंद्र सरकार के इस निर्णय से अब ओबीसी श्रेणी के अधिक से अधिक लोग सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.
पृष्ठभूमि
ओबीसी श्रेणी के लिए वर्ष 1993 में यह आय सीमा 1 लाख रुपये रखी गई थी. इसके बाद वर्ष 2004 में इस वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया गया. आगे चलकर वर्ष 2008 में यह 4.5 लाख रुपये और वर्ष 2013 में 6 लाख रुपये की गयी.
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