केंद्र सरकार ने 25 मई 2017 को स्टार्टअप की परिभाषा में मामूली बदलाव करने का निर्णय लिया. नई परिभाषा के अनुसार कोई भी बिज़नेस जिसे शुरू किये हुए सात वर्ष से कम हुए हैं वह स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान का लाभ उठा सकेगा.
इससे पहले यह समय सीमा पांच वर्ष थी. वर्ष 2016 में घोषित किये गये इस प्लान के अंतर्गत पहले पांच वर्ष तक पुरानी कम्पनियां ही इस योजना का लाभ उठा सकती थीं.
नई परिभाषा
एक इकाई को स्टार्टअप के माना जाएगा (अपरिवर्तित ईकाई) यदि इसका कारोबार 25 करोड़ रुपये से कम है. इसे आरंभ/पंजीकरण हुए यदि सात वर्ष से कम हुए हैं तो यह स्टार्टअप माना जायेगा. यदि बायोटेक्नोलॉजी श्रेणी की कोई कम्पनी है तो उसे 10 वर्ष तक की छूट मिलेगी.
इसमें यह भी कहा गया कि कोई भी कंपनी तब स्टार्टअप मानी जाएगी यदि वह नवाचार, विकास या उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं के सुधार की दिशा में काम कर रही है. उसे भी एक स्टार्टअप कहा जाएगा यदि वह रोजगार पैदा करने. धन सृजन करने के साथ एक स्केलेबल व्यवसाय मॉडल भी हो.
स्टार्टअप इंडिया
स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हों.
सरकार को स्टार्टअप आंदोलन के प्रसार में तेजी आने की उम्मीद है. कार्य योजना निम्न तीन स्तंभों पर आधारित है:
• सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग
• अनुदान सहायता और प्रोत्साहन
• उद्योग भागीदारी और इनक्म्बेशन
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