ग्रेटर नोएडा भारत का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 271 दर्ज किया गया. हालांकि, गाजियाबाद 275 के AQI के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है. यह स्थिति प्रदूषण नियंत्रण के दावों के बावजूद लगातार बिगड़ती जा रही है, जबकि ज़मीनी स्तर पर सुधार के प्रयास न के बराबर हैं. वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.
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गाजियाबाद सबसे प्रदूषित:
पिछले तीन दिनों से गाजियाबाद की वायु गुणवत्ता सबसे खराब दर्ज की गयी है. हाल की रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद 243 शहरों में सबसे प्रदूषित रहा, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 275 रिकॉर्ड किया गया. यह पहली बार नहीं है कि गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर बना है.
हालांकि वायु गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है, फिर भी समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. संबंधित अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है, न ही AQI में सुधार के लिए कोई ज़मीनी कार्य होता दिख रहा है. इसी बीच, ग्रेटर नोएडा का AQI 271 दर्ज किया गया और वह दूसरे स्थान पर रहा.
जागरण डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला प्रशासन और यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अवैध फैक्ट्रियों को बंद करने की बात कर रहे हैं. जिले के 20 से अधिक विभाग जैसे उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB), GDA, नगर निगम, परिवहन विभाग आदि मिलकर भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने में असमर्थ रहे हैं.
सभी विभाग आपसी समन्वय में योजनाएं बनाने का दावा करते हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही कहानी बयां करती है. नगर निगम, GDA और PWD की ज़िम्मेदारी होती है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सड़कों पर पानी का छिड़काव करें ताकि धूल न उड़े. जबकि विभाग छिड़काव का दावा करते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर ऐसा होते हुए नहीं दिख रहा और सड़कों पर धूल उड़ी जा रही है.
जिला प्रशासन और यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अवैध फैक्ट्रियों को बंद करने की बात कर रहे हैं, लेकिन लोन, भोपुरा, साहिबाबाद समेत कई क्षेत्रों में अवैध फैक्ट्रियां अब भी चल रही हैंअधिकारियों ने उन सभी कारकों की पहचान कर ली है जो प्रदूषण का मुख्य कारण हैं.
दिल्ली का ‘विंटर एक्शन प्लान’:
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने "विंटर एक्शन प्लान" लॉन्च किया है, जिसमें प्रमुख प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की निगरानी के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे। यह ड्रोन वास्तविक समय में प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाएंगे, ताकि तेजी से कार्रवाई की जा सके. इसके साथ ही, 21 मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस योजनाएं लागू की जा रही हैं, जिनमें सड़कों पर धूल कम करना, वाहनों से उत्सर्जन नियंत्रित करना, और कचरा प्रबंधन शामिल हैं.
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