जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की चार दरों को मंजूरी प्रदान की

Nov 3, 2016, 19:45 IST

सबसे निम्न दर आम उपभोग की वस्तुओं पर लागू होगी. यह 5 प्रतिशत होगी. सबसे ऊंची दर विलासिता और तंबाकू जैसी अहितकर वस्तुओं पर लागू होगी.ऊंची दर के साथ इन पर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जायेगा. यह 28 प्रतिशत है.

जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की चार दरों को मंजूरी प्रदान कर दी है. अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में प्रस्तावित नई वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली के तहत 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार स्तरीय कर व्यवस्था रखे जाने का निर्णय किया गया है.

जीएसटी दरें-

  • सबसे निम्न दर आम उपभोग की वस्तुओं पर लागू होगी. यह 5 प्रतिशत होगी.
  • सबसे ऊंची दर विलासिता और तंबाकू जैसी अहितकर वस्तुओं पर लागू होगी.
  • ऊंची दर के साथ इन पर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जायेगा. यह 28 प्रतिशत है.
  • यह उन वस्तुओं पर लागू होगी जिनमें वर्तमान में उत्पाद शुल्क और वैट सहित कुल 30-31 प्रतिशत की दर से कर लगता है.
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  • इसमे लक्जरी कारें, तंबाकू और ठंडे पर उंची दर के साथ ही स्वच्छ उर्जा उपकर तथा राज्यों को राजस्व की हानि की क्षतिपूर्ति के लिए एक नया उपकर भी लगाया जायेगा.
  • 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें होंगी.
  • केंद्र सरकार का जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने लक्ष्य है.
  • केन्द्र सरकार ने सोने पर चार प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया है. इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका.

अनाज टैक्स होगा फ्री-

  • महंगाई को ध्यान में रखते हुये खाद्यान्न सहित आवश्यक उपभोग की कई वस्तुओं को कर मुक्त रखा गया है.
  • इस लिहाज से उपभोक्ता मूलय सूचकांक में शामिल तमाम वस्तुओं में से करीब 50 प्रतिशत वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा. इन्हें शून्य कर की श्रेणी में रखा गया है.

राजस्व ढांचा-

  • वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार अतिरिक्त उपकर और स्वच्छ उर्जा उपकर सहित जो भी राजस्व प्राप्त होगा उसे एक अलग कोष में रखा जायेगा.
  • इस राजस्व कोष का इस्तेमाल राज्यों को यदि कोई राजस्व नुकसान होता है तो उसकी भरपाई के लिये किया जायेगा.
  • जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल तक यह व्यवस्था बनी रहेगी.
  • जीएसटी लागू होने के पहले साल राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिये 50,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
  • जीएसटी व्यवस्था के तहत केन्द्र सरकार के स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवा कर और राज्यों में लगने वाले वैट तथा अन्य कर सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जायेंगे.
  • आम उपभोग की कुछ वस्तुओं को 18 प्रतिशत के दायरे में हस्तांतरित किया जायेगा.

नुकसान की भरपाई पर सहमति-

  • वित्त मंत्री जेटली के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद में नई कर प्रणाली से राज्यों को होनेवाले नुकसान की भरपाई पर लगभग आम सहमति बन गई है. 

जीएसटी के बारे में-

विभिन्न सामान और सेवाओं के लिए देश को एक बाजार बनाने वाले जीएसटी में कई करें मिला दी जाएंगी. इनकी जगह सिर्फ तीन तरह के टैक्स होंगे.

  • सेट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी सीजीएसटी
  • स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी एसजीएसटी
  • इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी आईजीएसटी


एसजीएसटी में राज्य सरकारों की ओर से लगने वाले वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट, ऑक्ट्रॉय व इंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स, लॉटरी पर लगने वाले टैक्स और तमाम सेस और सरचार्ज मिल जाएंगे. वहीं दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर आईजीएसटी लगेगा.

सीजीएसटी में केंद्र सरकार की ओर से लगाए जाने वाले सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स के साथ कई तरह के सरचार्ज और सेस मिल जाएंगे.

 

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