वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने 04 मई 2018 को अगले छह महीने में हर महीने रिटर्न दाखिल करने की नई सरलीकृत पद्धति शुरू करने को मंजूरी प्रदान की. हालांकि कंपोजीशन डीलर और शून्य लेन-देन करनेवाले डीलर हर तिमाही पर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.
जीएसटी परिषद की 27वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले छह महीने के भीतर नई व्यवस्था लागू हो जाएगी और उसके अगले छह महीने में करदाताओं को पूरा बदलाव देखने को मिलेगा.
सरलीकृत मासिक रिटर्न दाखिल करने की पद्धति:
- सरलीकृत रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में कंपोजीशन डीलर और शून्य लेन-देन वाले डीलर को छोड़ बाकी को हर महीने सिर्फ एक जीएसटी रिटर्न दाखिल करना होगा.
- पहले चरण में रिटर्न दाखिल करने की मौजूदा प्रणाली जीएसटीआर 3बी और जीएसटीआर-1 छह महीने तक चलेगी. उसके बाद रिटर्न दाखिल करने का नया सॉफ्टवेयर तैयार हो जाएगा.
- दूसरे चरण में नई प्रणाली लागू की जाएगी और इसमें हर इनवायस डेटा को अपलोड करने की व्यवस्था होगी.
- इसके अलावा रिटर्न फार्म को भी सरलीकृत किया जाएगा. बी-2-बी डीलर को आपूर्ति के हर इनवायस का ब्यौरा देना होगा. बी-2-सी डीलर को महज विभिन्न कर पट्टियों में कुल कारोबार का खुलासा करना होगा.
- लेस कैश अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए परिषद ने उन बी2सी आपूर्ति पर देय जीएसटी दर में 2 प्रतिशत की रियायत (जहां जीएसटी दर 3 प्रतिशत या उससे अधिक है, लागू सीजीएसटी और एसजीएसटी दरों से 1-1 प्रतिशत की रियायत) देने के प्रस्ताव पर विस्तार से विचार किया जिसके लिए भुगतान चेक अथवा डिजिटल मोड के जरिए किया जाता है.
जीएसटी परिषद ने संबंधित प्रस्ताव पर विचार करने और सिफारिशें करने के लिए राज्य सरकारों की ओर से एक मंत्री समूह का गठन करने की अनुशंसा की है.
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