राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 20 जनवरी 2015 को भारत में बाघों की स्थिति पर नवीनतम रिपोर्ट 2014 (The latest report on Status of Tigers in India, 2014) जारी की. वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 1706 थी जो वर्ष 2014 में बढ़कर 2226 हो गई. यह बढ़ोत्तरी 30.5 प्रतिशत है. विश्व के 70 प्रतिशत बाघ भारत में पाए जाते हैं.
बाघों की यह गणना 18 राज्यों के करीब 378118 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्रों में कराया गया और 1540 बाघों के अनूठे चित्र लिये गये. सर्वेक्षण के अनुसार बाघों की संख्या कर्नाटक, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में बढ़ी है. कर्नाटक में 408, उत्तराखंड में 340, मध्यप्रदेश में 308, तमिलनाडु में 229, महाराष्ट्र में 190, असम में 167, केरल में 136 और उत्तरप्रदेश में 117 बाघ पाए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जैवविविधता वाले पश्चिम घाट क्षेत्र के तीन राज्यों में पारिस्थितिकी निरंतरता विश्व में सबसे अधिक बाघों की संख्या के लिए अहम रहा है. नवीनतम बाघ गणना रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम घाट के राज्यों में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी और देश में सबसे अधिक 406 बाघ कर्नाटक में हैं. वर्ष 2014 की बाघ आकलन रिपोर्ट में कहा गया है, दुनिया में सबसे अधिक बाघ मुदुललाई-बांदीपुर-नगरहोल-वायनाड परिसर में हैं, वहां 570 से अधिक बाघ हैं. यह क्षेत्र कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में है.
बाघ रिजर्वों के तीसरे दौर की स्वतंत्र प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन ने सुधार दर्शाया है. यह सुधार 43 बाघ रिजर्वों में 2010-11 के 65 प्रतिशत के स्तर से बढ़कर 2014 में 69 प्रतिशत हो गया है.
इन्द्रावती टाइगर रिजर्व में 12 वर्षों में पहली बार बाघों की गिनती की गई. बाघों की गिनती के लिए प्रदेश में इन्द्रावती के साथ ही उदंती सीतानदी और अचानकमार अभयारण्य को चुना गया था.
प्रभावी वन प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी के साथ बाघ संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किये गये उपायों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी है.
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