भारत ने 17 से 18 जनवरी 2018 के दौरान आयोजित किये गये अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) मंच की मेजबानी की तथा 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सौर विकास निधि बनाने की घोषणा की.
अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन कार्यक्रम के दौरान आईएसए के बारे में सूचना के प्रसार और इसकी गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी के लिए आईएसए मंडप स्थापित किया गया. अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सदस्य देशों के सात ऊर्जा मंत्रियो ने मंत्री स्तरीय सत्र में भाग लिया. उन्होंने सार्वभौमिक ऊर्जा, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सौर ऊर्जा के सहयोग, ज्ञान के लाभ और शुरूआती सत्रों में सौर परियोजनाओं के लिए नवोन्मेष प्रौद्योगिकी और अनुसंधान और विकास में निवेश पर अपने विचार रखे.
अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन कार्यक्रम की विशेष उपलब्धियां
• कार्यक्रम में बताया गया कि भारत के पास विश्व में तीव्र गति से बढ़ने वाला नवीनकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम हैं और वर्ष 2020 से पूर्व 175 जीडब्लयू के स्थापित नवीनकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा.
• सौर परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत सरकार द्वारा 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सौर विकास निधि की स्थापना की घोषणा की गई.
• अप्रैल 2018 तक आईएसए के अंतर्गत 100 से अधिक परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किये जायेंगे.
• मंत्री स्तरीय बैठक के बाद तीन तकनीकी समूह परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें ऊर्जा मंत्रियों, नीति-निर्धारकों,बहुस्तरीय बैंक और वित्तीय संस्थान, अनुसंधान और विकास संगठन एवं नवाचार,सौर ऊर्जा विकासक और निर्माता, निवेशक और अन्य भागीधारकों ने भाग लिया.
• अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मंत्री स्तरीय सत्र की समाप्ति पर यस बैंक ने पांच बिलियन अमेरिकी ड़ॉलर से अधिक की राशि सौर परियोजनाओं को वित्तीय मदद के रूप में देने की घोषणा की.
• मैसर्स सीएलपी और मैसर्स एनटीपीसी लिमिटेड ने आईएसए के साथ भागीदारी गठित करने की घोषणा की और दोनों ने आईएसए निधि के लिए एक–एक मिलियन अमेरिकी डॉलर का स्वैच्छिक योगदान देने का ऐलान भी किया.
• आईए और जीसीएफ ने भी आईएसए के साथ भागीदारी में प्रवेश करने की घोषणा की.
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
यह सौर ऊर्जा पर आधारित 121 देशों का एक सहयोग संगठन है जिसका शुभारंभ भारत व फ्रांस द्वारा 30 नवंबर 2015 को पेरिस में किया गया था. यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी.
यह संगठन कर्क व मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाएगा. ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है. इस संगठन में ये सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे. इस प्रयास को वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
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