सर्न, जेनेवा का एसोसिएट सदस्य बना भारत

Nov 24, 2016, 17:22 IST

वर्ष 2015 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्न की सदस्यता के लिए मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सर्न परिषद ने एसोसिएट सदस्य के तौर पर भारत की सदस्यता स्वीकार कर ली.

भारत यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (सीईआरएन– सर्न) का 21 नवंबर 2016 को एसोसिएट सदस्य बन गया. इसके लिए भारत ने संगठन के साथ एक समझौता किया है. समझौते पर परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष शेखर बासु और सर्न के महानिदेशक फाबियोला गायनोत्ति ने मुंबई में हस्ताक्षर किए.
वर्ष 2015 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्न की सदस्यता के लिए मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सर्न परिषद ने एसोसिएट सदस्य के तौर पर भारत की सदस्यता स्वीकार कर ली.

सर्न में भारत का योगदान:

•    सर्न में भारतीय वैज्ञानिकों की भागीदारी 1960 के दशक के शुरुआत में हो गई थी और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग से यह और मजबूत हुआ.

•    वर्ष 1991 में डीएई ने सरने के साथ औपचारिक समझौता किया जो आज भी जारी है.

•    वर्ष 2003 में भारत को सर्न के पर्यवेक्षक का दर्जा मिला और फिर उसे एसोसिएट सदस्य के तौर पर सर्न में शामिल होने का आमंत्रण मिला.

•    भारत ने डिजाइन, विकास और हार्डवेयर एक्सलरेटर सिस्टम एवं उनकी स्थापना की आपूर्ति के क्षेत्रों में लार्ज हैडरॉन कोलाइडर (एलएचसी) के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किया है.

•    भारत एएलआईसीई प्रयोग, जो क्वार्क– ग्लून प्लाज्मा (क्यूजीपी) के भौतिकी को उजागर करने के बारे में है, का एक अग्रणी भागीदार है.

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•    भारतीय वैज्ञानिकों ने कॉम्पैक्ट मॉन सोलेनॉयड (सीएमएस) प्रयोगों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ये हिग्स बोसॉन की खोज में सहयोग करने वाले दो बड़े प्रयोगों में से एक है. एलएचसी पर हिग्स बोसॉन की खोज हालिया समय में सबसे अधिक बातचीत किए जाने वाले वैज्ञानिक खोजों में से है.

•    भारतीय वैज्ञानिक उच्च– तकनीक वाले पार्टिकल डिटेक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक रिसर्च, आईसोलेड और सर्न के एन– टीओएफ प्रयोग  में भी शामिल हैं.

•    बड़े पैमाने पर होने वाले कंप्यूटिंग में भारत ने डिजाइनिंग, विकास और वर्ल्डवाइड लार्ज हैडरॉन कोलाइडर ग्रिड (डब्ल्यूएलसीजी) के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण योगदान किया है.

•    वैरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर(वीईसीसी), कोलकाता और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), मुंबई में लगे ग्रिड टायर2 केंद्र सर्न के साथ हुए विविध सहयोगों द्वारा चलाए जा रहे कंप्यूटेशनल नौकरियों की सुविधा प्रदान कर रहे हैं.

यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (सर्न) के बारे में:

•    सर्न एक अनंतिम निकाय है जिसकी स्थापना 1952 में यूरोप में विश्व स्तरीय मौलिक भौतिक अनुसंधान संगठन की स्थापना के निर्देशों पर की गई थी.

•    यह दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु एवं कण भौतिकी प्रयोगशाला है जहां वैज्ञानिक उपकरणों और गणन प्रणालियों के माध्यम से वैज्ञानिक ब्रह्मांड की मौलिक संरचना की जांच करते हैं.

•    यह फ्रांस– स्विट्जरलैंड सीमा पर जिनेवा में है. इसके 22 सदस्य देश और चार एसोसिएट सदस्य देश हैं.


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