भारत और ग्वाटेमाला ने 07 मई 2018 को शिक्षा के क्षेत्र में विदेश सेवा संस्थानों के माध्यम से राजनयिक सहयोग मजबूत करने का समझौता किया है. ग्वाटेमाला में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और ग्वाटेमाला के उपराष्ट्रपति जाफेथ केबरेरा की बैठक के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए.
इससे पहले दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिया और कृषि, संस्कृति और जनजीवन संरक्षण से जुड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
मुख्य तथ्य:
- दो देशो ने ‘सम्मानार्थ’ और गैर प्रतिस्पर्धात्मक द्वीपक्षीय संबंधों से मिलने वाले सुअवसरों के लाभ पर सहमति व्यक्त की है.
- ग्वाटेमाला वर्ष 2021-22 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की सदस्यता के लिए और भारत वर्ष 2031-32 के लिए ग्वाटेमाला की सदस्यता के लिए सहयोग करेगा.
- भारतीय पक्ष ने हवाई अड्डों पर सौर पैनल की आपूर्ति के लिए ग्वाटेमाला के अनुरोध पर स्वीकृति दी.
- विचारविमर्श के पश्चात दोनों उपराष्ट्रपतियों की उपस्थिति में दोनों पक्षों ने राजनयिकों के प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
- भारत में ग्वाटेमाला के अंग्रेजी शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए आशय-पत्र पर हस्ताक्षर किये. यह अनुबंध तीन वर्षों तक वैध रहेगा और आवश्यकतानुसार बाद में बढाया जा सकेगा.
- ग्वाटेमाला में व्यापार, संस्कृति और आर्थिक विकास जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. शिक्षा में सहयोग, प्रौद्योगिकी, जंगली जीव का संरक्षण, योगा, पर्यटन और ऑटो मोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया गया.
- उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ग्वाटेमाला को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का हिस्सा बनने का आग्रह किया और सौर ऊर्जा एवं पुनः प्राप्ति ऊर्जा के लिए सभी प्रकार के समर्थन का आश्वासन दिया.
ग्वाटेमाला:
- ग्वाटेमाला अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के लिहाज से ग्वाटेमाला मध्य अमेरिका का सबसे बड़ा देश है. यहां 1.66 करोड़ लोग रहते हैं.
- भारत के साथ ग्वाटेमाला के दोस्ताना संबंध रहे हैं. पिछले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार 1020 करोड़ रुपए से बढ़कर 1765 करोड़ रुपए हो गया है. दोनों देशों के बीच यह अब तक की सबसे उच्च स्तर की यात्रा है.
पृष्ठभूमि:
भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इन दिनों पांच दिवसीय विदेश यात्रा पर हैं. ग्वाटेमाला पहुंचने पर उन्हें एयरपोर्ट पर वहां की विदेश मंत्री सांद्रा जॉवेल और भारतीय राजदूत संजीव बाबू कुरूप ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया.
इस पांच दिवसीय यात्रा में नायडू ग्वाटेमाला के अलावा, पेरू और पनामा भी जाएंगे. उनकी विदेश यात्रा की शुरुआत 06 मई 2018 से हुई है. उपराष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. गौरतलब है कि वर्ष 1972 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहली हाई लेवल मीट है.
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