भारत में 10 साल में 27 करोड़ लोग हुए 'गरीबी से मुक्त': UN रिपोर्ट

Jul 13, 2019, 11:05 IST

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में गरीबी में कमी को देखने हेतु संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ दस देशों को चिन्हित किया गया. गरीबी का आकलन केवल आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता तथा हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर किया गया.

poverty in India
poverty in India

संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2006 से साल 2016 के बीच 27.10 लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) तथा आक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआई) द्वारा जारी किया गया था.

भारत में भी स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. इस दौरान भारत में खाना पकाने का ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में मजबूत सुधार के साथ विभिन्न स्तरों पर गरीबी सूचकांक मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट आयी है.

रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य:

   रिपोर्ट के अनुसार, 101 देशों में 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया. इसमें 31 सबसे कम आय, 68 मध्यम आय और दो सबसे ज्यादा आय वाले देश थे. ये लोग विभिन्न पहलुओं के आधार पर गरीबी में फंसे थे.

   गरीबी का आकलन केवल आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता तथा हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर किया गया.

•   संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में गरीबी में कमी को देखने हेतु संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ दस देशों को चिन्हित किया गया.

   इन सभी ने आंकड़ों के आधार पर सतत विकास लक्ष्य 1 प्राप्त करने हेतु उल्लेखनीय प्रगति की. सतत विकास लक्ष्य 1 से आशय गरीबी को सभी पहलुओं से हर जगह समाप्त करना है.

•   ये दस देश बांग्लादेश, कम्बोडिया, इथियोपिया, हैती, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम हैं. इन देशों में गरीबी में उल्लेखनी कमी आयी है.

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गरीबी में कमी के मामले में सर्वाधिक सुधार झारखंड में

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी में कमी के मामले में सबसे ज्यादा सुधार झारखंड में देखा गया. झारखंड में विभिन्न स्तरों पर गरीबी साल 2005 से साल 2006 में 74.9 प्रतिशत से कम होकर साल 2015 से साल 2016 में 46.5 प्रतिशत पर आ गयी. रिपोर्ट के अनुसार, दस संकेतकों पोषण, स्वच्छता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, बिजली, स्कूल में उपस्थिति, आवास, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति के तहत उल्लेखनीय सुधार दर्ज किये गये हैं.

•   रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक प्रगति दक्षिण एशिया में देखी गई. भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले जबकि बांग्लादेश में साल 2004 से साल 2014 के बीच 1.90 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले.

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   दस चुने गये देशों में भारत और कम्बोडिया में एमपीआई मूल्य में सबसे तेजी से कमी आयी है. उन्होंने सर्वाधिक गरीब लागों को बाहर निकालने में कोई कमी नहीं छोड़ी हैं. भारत का एमपीआई मूल्य साल 2005 से साल 2006 में 0.283 था. यह एमपीआई साल 2015 से साल 2016 में 0.123 पर आ गया था.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2005 से साल 2006 में भारत की करीब 64 करोड़ लोग गरीबी में थे जो संख्या घटकर साल 2015 से साल 2016 में 36.9 करोड पर आ गयी. इस तरह, भारत ने विभिन्न स्तरों और उक्त दस मानकों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति की है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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