भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) का हिस्सा बनने से 04 नवंबर 2019 को इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों का सही समाधान नहीं दिखने पर इस समझौते से बाहर रहना ही बेहतर समझा. केंद्र सरकार के फैसले का भारत के सभी विपक्षी नेताओं ने स्वागत किया, जो इस सौदे पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में विश्व के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी' (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का फैसला किया. आरसीईपी शिखर सम्मेलन में विश्व के कई नेताओं ने भाग लिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत अधिक से अधिक क्षेत्रीय एकीकरण, मुक्त व्यापार और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की जब मैं आरसीईपी समझौता को सभी भारतीयों के हितों से जोड़कर देखता हूं, तो मुझे सकारात्मक जवाब नहीं मिलता. ऐसे में न तो गांधीजी का कोई जंतर तथा न ही मेरी अपनी अंतरात्मा आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति देती है. |
क्या है आरसीईपी समझौता?
आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) एक व्यापार समझौता है. यह सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ व्यापार करने की सहूलियत प्रदान करता है. समझौते के अनुसार सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स (कर) या तो बिल्कुल नहीं भरना पड़ता है या बहुत ही कम भरना पड़ता है.
हस्ताक्षर इन देशों को करने थे
आरसीईपी समझौते पर दस आसियान देशों के अतिरिक्त भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को हस्ताक्षर करने थे. इस समझौते का उद्देश्य 16 देशों के बीच विश्व में सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना है.
भारत में लंबे समय से चिंताएं जताई जा रही थी
भारत में आरसीईपी को लेकर बहुत लंबे समय से चिंताएं जताई जा रही थीं. किसान और व्यापारी संगठन इसका यह कहते हुए विरोध कर रहे थे कि यदि भारत इसमें शामिल हुआ तो पहले से परेशान किसान और छोटे व्यापारी तबाह हो जाएंगे.
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प्रभाव
भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते से बाहर होने के फैसले से देश के किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) तथा डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी. मंच पर भारत का रुख बहुत ही व्यावहारिक रहा है. भारत ने जहां गरीबों के हितों के संरक्षण की बात की, वहीं देश के सेवा क्षेत्र को लाभ की स्थिति देने का भी बहुत प्रयास किया.
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