भारत और विश्व बैंक ने 22 जनवरी 2018 को उत्तराखंड के पहाड़ी राज्य के ‘नगरीय-शहरी क्षेत्रों’ में जलापूर्ति सेवाओं की सुविधाएं बेहतर बनाने हेतु 120 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये.
इस परियोजना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के संयुक्त सचिव समीर कुमार खरे, उत्तराखंड सरकार की तरफ से पीने के पानी तथा स्वच्छता विभाग में सचिव अरविंद कुमार हयांकी और इंडिया के कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर इशाम आब्दो ने विश्व बैंक की तरफ से किया.
उत्तराखंड जल आपूर्ति कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
- यह शहरी क्षेत्रों के लिए उत्तराखंड जल आपूर्ति कार्यक्रम राज्य सरकार को जल आपूर्ति बढ़ाने तथा ‘नगरीय-शहरी क्षेत्रों’ में स्थाई जलापूर्ति सेवा आपूर्ति प्रदायगी सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
- यह नगरीय क्षेत्रों के लिए एक सेवा केंद्रित तथा प्रभावी जलापूर्ति नीति के निर्माण एवं कार्यान्वयन करेगा तथा वर्तमान निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणालियों को सुदृढ़ बनाएगा.
- नगरीय-शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति की ‘मास्टर प्लान’ तैयार करने तथा उसे लागू करने के लिए समर्पित प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगा.
टिप्पणी:
विकास एवं शहरीकरण की वजह से ‘नगरीय-शहरी क्षेत्रों’ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिन्हें ग्रामीण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. ये आबादी के घनत्व, अर्थव्यवस्था की संरचना तथा लोगों की आकांक्षाओं के लिहाज से प्रभावी रूप से शहरी हैं. वर्ष 2001 से वर्ष 2011 तक राज्य की शहरी आबादी में लगभग 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कि 32 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है.
इस कार्यक्रम से राज्य के नगरीय-शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 700,000 से अधिक लोगों के लाभान्वित होने की उम्मीद है.
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