बोफोर्स घोटाले के 30 साल बाद भारतीय सेना को एम777 होवित्जर्स तोप मिली

May 19, 2017, 19:23 IST

सेना में शामिल करने हेतु होवित्‍जर तोपों का परीक्षण पोखरण में किया जा रहा है. केंद्र सरकार इन तोपों को मुख्यत: भारत की चीन सीमा पर तैनात करने की योजना बना रही है.

तीन दशक बाद एम-777 होवित्‍जर भारतीय सेना में शामिल हो गयी. भारतीय सेना लम्बे समय से इसकी मांग कर रही थी. इससे पहले बोफोर्स तोपों को सेना में शामिल किया गया. बोफोर्स तोपों ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई.

होवित्जर्स तोप की खरीद हेतु सितंबर में तत्‍कालीन ओबामा सरकार के साथ किया गया. जून 2006 में हॉवित्जर तोपों को खरीदने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत शुरू हुई. अगस्त 2013 में अमेरिका ने हॉवित्जर का नया वर्जन देने की पेशकश की जिसकी कीमत 885 मिलियन डॉलर थी.

सेना में शामिल करने हेतु होवित्‍जर तोपों का परीक्षण पोखरण में किया जा रहा है. केंद्र सरकार इन तोपों को मुख्यत: भारत की चीन सीमा पर तैनात करने की योजना बना रही है.

एम-777 होवित्‍जर को खरीदने का उदेश्य-

  • भारत द्वारा एम-777 होवित्‍जर तोप खरीदने का भारत का उदेश्य चीन से लगती सीमा पर सुरक्षाव्यवस्था को चाक चौबंद करना है.
  • भारत चीन की सीमा पर कई माध्‍यमों से सुरक्षा व्यवस्था को पुख्‍ता रूप देने में लगा है.


एम-777 होवित्‍जर तोपों के बारे में-

  • एम-777 होवित्‍जर तोपों का निर्माण अमेरिकी कंपनी बीएई सिस्टम्स ने किया है.
  • इन्हें ऑपरेट करना बेहद आसान है.
  • भारत इस कंपनी से 145 तोपें खरीद रहा है. अमेरिका से हुआ यह सौदा करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है.
  • होवित्‍जर तोप 4155 एमएम की होवित्‍जर तोप 30 किलोमीटर तक सटीक मार कर सकती हैं.
  • इनमें 25 तोपें बनी-बनाई खरीदी जाएंगी जबकि अन्‍य तोपों का इसकी सहयोगी कंपनी महिंद्रा डिफेंस द्वारा भारत में असेंबल किया जाएगा.
  • तीन होवित्‍जर तोप सितंबर माह में भारत आ जाएंगी. बाद में वर्ष 2019 के मार्च से वर्ष 2021 के जून के मध्य प्रति माह 5-5 तोपें लाई जाएँगी.
  • ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा और सऊदी अरब की सेनाएं एम-777 होवित्‍जर तोपों का प्रयोग कर रही हैं.
  • होवित्‍जर तोपों को ने अफगानिस्‍तान की लड़ाई में पहली बार अपनी ताकत परखी और दुश्‍मन को धूल चटाई.
  • बोफोर्स के मुकाबले होवित्‍जर तोपों का वजन काफी कम है. हॉवित्जर तोपें हलकी होने के कारण इनको कहीं पर साधारण तरीके से पहुंचाया जा सकता है.

होवित्‍जर तोपों का वजन-
होवित्‍जर तोपों के निर्माण में टाइटेनियम का प्रयोग किया जाता है. बोफोर्स का वजन जहां 13,100 किग्रा है वहीं इसका महज 4,200 किलोग्राम है. मारक क्षमता के मामले में हॉवित्जर की दुनिया की सबसे कारगर तोपों में गणना की जाती है. डिजिटल फायर कंट्रोल वाली यह तोप एक मिनट में 5 राउंड फायर करती है.


टिप्पणी-

चीन की सीमा पर होवित्‍जर तोप के उतना कारगर होने की संभावना कम है जितना पाकिस्‍तान की सीमा पर. पाकिस्‍तान की तरफ यदि जम्‍मू कश्‍मीर को छोड़ दिया जाए तो सीमा का अधिकतर क्षेत्र समतल है. बॉर्डर के पास चीन का एयरबेस भी है और अत्‍याधुनिक तकनीक से लैस हथियारों की तैनाती चीन ने सीमा पर कर रखी है.

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