भारतीय नौसेना ने 25 मार्च 2017 को बराक मिसाइल प्रणाली का विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य से पहला सफल परीक्षण किया. यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है.
अरब सागर में किए गए परीक्षण में मिसाइल से कम ऊंचाई पर उच्च गति से उड़ान भर रही एक वस्तु को निशाना बनाया गया. मिसाइल ने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया. इस परीक्षण से नौसैना के विमान वाहक पोत की कार्य क्षमता काफी बढ़ गयी है.
पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल गिरीश लुथरा के ऑपरेशन रेडीनेस इंसपेक्शन के तहत यह लक्ष्य भेदन कार्यक्रम संचालित किया गया. भारतीय सेना ने मिसाइल ने हवा में रोकने की काबिलियत और सुरक्षा क्षमताओं में बढोत्तरी के मामले में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है.
आईएनएस विक्रमादित्य
• यह भारतीय नौसेना के सबसे शक्तिशाली विमानवाहक पोतों में से एक है. यह 283.5 मीटर लंबा है अर्थात् इसके आकार के तीन फुटबॉल मैदान बनाये जा सकते हैं.
• यह किसी 20 मंजिला इमारत जितना ऊंचा तथा 44,500 टन वजनी है.
• यह भारतीय नौसेना का सबसे लंबा और विशाल युद्धपोत है. आईएनएस विक्रमादित्य को 16 नवंबर 2013 को रूस के सेवमास शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था.
• इस पर चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिग-29के भी मौजूद रहते हैं. इसके अतिरिक्त इस पर छह कोमोव-31 हेलीकॉप्टर भी तैनात रहते हैं जो इसे पनडुब्बी हमले से भी बचा सकते हैं.
• विक्रमादित्य पोत छह नली वाली एके-630 तोप से लैस है.
• यह 30 नॉट यानी 56 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से समुद्र में चल सकता है. इस पर लंबी दूरी के अत्याधुनिक एयर सर्विलेंस रडार भी लगे हुए हैं.
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