भारतीय रेलवे ने हाल ही में विश्व के सबसे ऊंचे रेल ट्रैक के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे शुरू करेगा. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर-मनाली से जम्मू-कश्मीर के लेह को जोड़ने वाली इस लाइन का रूट 498 किलोमीटर लंबा होगा.
यदि इस रेल ट्रैक को तैयार करने की योजना परवान चढ़ती है तो यह चीन किंघाई-तिब्बत रेलवे को पछाड़कर विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे ट्रैक होगा. इस ट्रैक की ऊंचाई समुद्र तल से 3,300 मीटर होगी. रेल मंत्रालय की ओर से जिन 4 महत्वपूर्ण रेल नेटवर्क्स की योजना बनाई गई है, उनमें से लेह तक बनने वाली यह लाइन भी होगी.
इस सर्वे पर 157.77 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस सर्वे का खर्च रेल मंत्रालय की बजाय रक्षा मंत्रालय उठा रहा है. यह प्रस्तावित रेल लाइन बिलासपुर से चलकर सुंदरनगर, मंडी, मनाली, टांडी, केलॉन्ग, कोकसार, दारचा, उप्शी और कारू से होते हुए लेह तक जाएगी. इस फाइनल लोकेशन सर्वे की जिम्मेदारी रेलवे की पीएसयू कंपनी राइट्स (RITES) को दी गई है.
रक्षा मंत्रालय ने रणीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन, नेपाल और पाकिस्तान की सीमाओं के नजदीक रेल प्रॉजकेट्स का प्रस्ताव दिया है. मंत्रालय की पहल पर 14 रणनीतिक लाइनें तय की गई हैं. इनमें से चार बिलासपुर-मनाली-लेह, मिस्सामारी-तेंगा-तवांग, नॉर्थ लखीमपुर-बामे-सिलापठार और पासीघाट-तेजू-रूपई हैं. पहले चरण में इन चार लाइनों पर ही काम शुरू किया जाएगा.
हालांकि, सर्वे तीन चरणों में किया जाएगा और वर्ष 2019 तक इसे पूरा किया जाना है. अभी सड़क मार्ग साल में सिर्फ पांच महीने खुला रहता है. यह लाइन चीन सीमा के नज़दीक होने के चलते रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण होगी ही, इसके अतिरिक्त यह हिमाचल और कश्मीर के लेह क्षेत्र में बड़े आर्थिक और सामाजिक लाभ का जरिए बनेगी. इसके अलावा क्षेत्र में पर्यटन उद्योग के विकास की संभावनाओं को भी बल मिलेगा.
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