गुजरात के वडोदरा में बने देश के पहले राष्ट्रीय रेल तथा परिवहन विश्वविद्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है. 05 सितम्बर 2018 को शिक्षक दिवस के दिन गुजरात के वडोदरा में भारत का पहला रेल विश्वविद्यालय शुरू किया गया.
फिलहाल यह वडोदरा स्थित भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी से ही काम कर रहा है. कैलिफॉर्निया, बर्कले और कॉर्नेल विश्वविद्यालय जैसे विदेशी पार्टनर्स के साथ काम कर रहे इस रेलवे विश्वविद्यालय ने अभी 2 ग्रैजुएट प्रोग्राम शुरू किए हैं. यह प्रोग्राम बीएससी ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी और बीबीए ट्रांसपोर्टेशन मैनेजमेंट हैं. हर कोर्स में 50 छात्र हैं.
मुख्य तथ्य:
• यह विश्वविद्यालय यूसीजी की नोवो श्रेणी (मानित विश्वविद्यालय संस्थान) नियमन, 2016 के अंतर्गत मानित विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ है.
• यह विश्वविद्यालय भारतीय रेल को आधुनिकीकरण के रास्ते पर ले जाएगा और उत्पादकता बढ़ाकर तथा ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देकर परिवहन क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेता बनाने में सहायक होगा.
• विश्वविद्यालय कुशल मानव शक्ति संसाधन का पूल बनाएगा और भारतीय रेल में बेहतर सुरक्षा, गति और सेवा प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिक का लाभ उठायेगा.
• विश्वविद्यालय टेक्नोलॉजी को सक्रिय करके तथा टेक्नोलॉजी प्रदान करके ‘स्टार्ट अप इंडिया’ तथा ‘स्किल इंडिया’ को समर्थन देगा तथा उद्यमियता को बढ़ावा देने के साथ-साथ बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करेगा. इससे रेलवे तथा परिवहन क्षेत्र में परिवर्तन होगा तथा लोगों और वस्तुओं की आवाजाही में तेजी आएगी.
पृष्ठभूमि:
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मानव संसाधन कौशल और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए गुजरात के वडोदरा में देश की पहली रेल यूनिवर्सिटी की स्थापना को 20 दिसम्बर 2017 को मंजूरी दी थी. इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए वडोदरा स्थित भारतीय रेल की राष्ट्रीय अकादमी (एनएआईआर) की मौजूदा जमीन का इस्तेमाल किया गया है.
बता दें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की रेलवे प्रणाली के रिसर्च और आधुनिकीकरण के लिए रेलवे यूनिवर्सिटी की घोषणा की थी. इसे आतंरिक रूप से राष्ट्रीय रेल परिवहन यूनिवर्सिटी के नाम से जाता है.
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