विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावशाली समूह जी-20 (G-20) की बैठक 2023 में जम्मू कश्मीर में होगी. केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने बैठकों के समग्र समन्वय के लिए 23 जून 2022 को पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.
केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अंतर्गत तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को प्राप्त विशेष दर्जे की समाप्ति तथा इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आयोजित होने वाला यह पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन होगा.
पहली बार जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को सितंबर 2021 को जी-20 के लिए भारत का दूत नियुक्त किया गया था. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत 01 दिसंबर, 2022 से जी-20 की अध्यक्षता करेगा तथा 2023 में पहली बार जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा.
यहां जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेश के आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव समिति के अध्यक्ष होंगे. इसका गठन विदेश मंत्रालय के 04 जून के पत्र के बाद किया गया है.
समिति के सदस्यों में
समिति के सदस्यों में आयुक्त सचिव (परिवहन), प्रशासनिक सचिव (आतिथ्य एवं प्रोटोकॉल), प्रशासनिक सचिव (पर्यटन) और प्रशासनिक सचिव (संस्कृति) शामिल हैं. आदेश में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जी-20 बैठकों की व्यवस्था के समन्वय हेतु सरकार के प्रधान सचिव (आवास और शहरी विकास विभाग) को केंद्र शासित प्रदेश स्तर के नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है.
प्रधान सचिव मनोज कुमार द्विवेदी ने क्या कहा?
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार द्विवेदी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठकों के समग्र समन्वय हेतु एक समिति के गठन को मंजूरी दी जाती है.
जी-20 शिखर सम्मेलन: एक नजर में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधित्व का नेतृत्व कर रहे हैं. भारत साल 1999 में जी-20 की स्थापना के बाद से इसका सदस्य है. बता दें G-20, जिसे ग्रुप आफ ट्वेंटी भी कहा जाता है. इसमें यूरोपीय संघ समेत 20 देश शामिल हैं. इन 20 देशों के राष्ट्रध्यक्षों की प्रत्येक साल होने वाली सालाना बैठक को G-20 शिखर सम्मेलन कहा जाता है. इस सम्मेलन में सभी देशों के मुख्य विषय यानी ग्लोबल वार्मिंग, आतंक, आर्थिक परेशानी, स्वास्थ्य और अन्य जरूरी विषयों पर चर्चा की जाती है.
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