ओडिशा की कंधमाल हल्दी को विशिष्ट भौगोलिक पहचान के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्रदान किया गया. कंधमाल की लगभग 15 प्रतिशत आबादी हल्दी की खेती से जुड़ी हुई है. जीआई टैग प्राप्त हो जाने से इसे विश्व बाजार में एक स्वतंत्र स्थान मिल जायेगा.
इसके पंजीकरण हेतु कंधमाल अपेक्स स्पाइसेज असोसिएशन फॉर मार्केटिंग द्वारा प्रयास किया गया था. इसके पंजीकरण आवेदन को वस्तु भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 13 की उपधारा 1 के तहत मंजूरी दिया गया है.
कंधमाल हल्दी की विशेषता |
कंधमाल हल्दी स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है. यह कंधमाल के जनजातीय लोगों की प्रमुख नकदी फसल है. इस हल्दी का उपयोग घरेलु के अतिरिक्त सौन्दर्य उत्पादों तथा औषधीय कार्यों के लिए भी किया जाता है. इस हल्दी की मुख्य खासियत यह है कि इसके उत्पादन में किसानों द्वारा किसी तरह के कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है. स्थानीय लोग ही नहीं शासन तंत्र भी कंधमाल हल्दी को स्वतंत्रता का प्रतीक यानी अपनी उपज मानता है. |
भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) के बारे में:
• जीआई टैग अथवा भौगोलिक चिन्ह किसी भी उत्पाद के लिए एक चिन्ह होता है जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए दिया जाता है और यह सिर्फ उसकी उत्पत्ति के आधार पर होता है.
• ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है.
• दार्जिलिंग चाय, महाबलेश्वर स्ट्रोबैरी, जयपुर की ब्लूपोटेरी, बनारसी साड़ी और तिरूपति के लड्डू कुछ ऐसे उदाहरण है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है.
• ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हमारे कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, विशेष कौशल और पारंपरिक पद्धतियों और विधियों का ज्ञान है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है और इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
• जीआई उत्पाद दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा सकते हैं.
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