भारत और दुनिया चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जिसकी लैंडिंग 23 अगस्त की शाम को होने वाली है. अंतरिक्ष यान ने सभी कक्षा और डीबूस्टिंग एक्सरसाइज को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
चंद्रयान-3 का अब मुख्य उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है जिसके लिए इसरो के सभी साइंटिस्ट अपनी-अपनी भूमिकाओं में लगे हुए है.
इसरो ने जारी की नई तस्वीरें:
इसरो ने चंद्रयान-3 द्वारा 19 अगस्त, 2023 को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गई चंद्रमा की कुछ तस्वीरें जारी की है. ये तस्वीरें ऑनबोर्ड चंद्रमा के रिफरेन्स मैप के साथ मिलान करके लैंडर मॉड्यूल को उसकी स्थिति निर्धारित करने में सहायता करती हैं.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े है ये बड़े नाम:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है. भारत के सबसे बड़े अंतरिक्ष मिशन, चंद्रयान-3 के पीछे कई प्रमुख साइंटिस्ट है जिनके बारें हम आज जानेंगे.
इनमें कई बड़े नाम शामिल है जिसमें प्रमुख रूप से इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ, चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के डायरेक्टर एस उन्नीकृष्णन नायर आदि प्रमुख रूप से शामिल है.
1. इसरो अध्यक्ष- एस सोमनाथ:
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पिछले साल जनवरी में इसरो की कमान संभाली है और वह भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन के प्रमुख व्यक्तियों में से एक है. अपनी इस जिम्मेदारी से पहले वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre) के निदेशक के रूप में कार्य किया है.
यह दोनों ही केंद्र इसरो के रॉकेट टेक्नोलॉजी के विकास के प्रमुख केंद्र है. उन्ही के नेतृत्व में ही भारत अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 और गगनयान (भारत का पहला मानव मिशन) के लॉन्चिंग की तैयारी कर रहा है.
2. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर-पी वीरमुथुवेल:
चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भी भूमिका अहम है उन्होंने वर्ष 2019 में चंद्रयान -3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की कमान संभाली. इससे पहले वह इसरो के स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके है.
पी वीरमुथुवेल ने इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले है और उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) से पढ़ाई की है.
3. एस उन्नीकृष्णन नायर:
एस उन्नीकृष्णन नायर इसरो के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक है उन्होंने केरल के थुम्बा में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी. वीएसएससी के प्रमुख के रूप में, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम इसरो के प्रमुख मिशनों से जड़े हुए है.
4. एम शंकरन की भूमिका:
एम शंकरन को इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के डिजाइन और निर्माण का काम सौंपा गया है. उन्होंने जून 2021 में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में निदेशक के रूप में अपना कार्यभार ग्रहण किया था. वर्तमान में उनकी लीडरशिप में उनकी टीम ऐसे उपग्रहों के निर्माण में लगे हुए है जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज करने में सक्षम हो.
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