NATO नेताओं ने चीन को घोषित किया सतत वैश्विक सुरक्षा चुनौती

Jun 17, 2021, 18:22 IST

वर्ष, 2019 के बाद से पहली NATO बैठक में, नेताओं ने चीन के मुखर व्यवहार की ओर इशारा किया है और बीजिंग की दमनकारी नीतियों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है.

NATO leaders declare China a constant global security challenge
NATO leaders declare China a constant global security challenge

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), जोकी 30 यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों के बीच एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, ने चीन को एक सतत वैश्विक सुरक्षा चुनौती के तौर पर चिन्हित किया है और बीजिंग के उदय का मुकाबला करने की कसम खाई है.

चीन वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय क्यों बन गया है?

हथियारों का विस्तार

NATO के महासचिव, जेन स्टोलटेनबर्ग ने यह समझाया है कि, अंतर्राष्ट्रीय निकाय ने इस बात पर अपनी चिंता प्रकट की है क्योंकि, चीन तेजी से अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है, जिसमें अधिक हथियार और बड़ी संख्या में परिष्कृत वितरण प्रणाली हैं. यह चिंता रूस के साथ उसके सैन्य सहयोग को लेकर भी है.

NATO के खिलाफ तेजी से दौड़ रहा है

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के अनुसार, चीन NATO के खिलाफ तेजी से आगे बढ़ रहा है, चाहे वह अफ्रीका में, भूमध्यसागरीय क्षेत्र में या फिर आर्कटिक में हो, क्योंकि वे इन क्षेत्रों में और अधिक सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं.

चीन के खिलाफ वैश्विक दबाव बढ़ाने के पीछे अमेरिका की क्या भूमिका है?

NATO में G-7 विज्ञप्ति के एजेंडे को आगे बढ़ाना

यूनाइटेड किंगडम में सात सहयोगियों के समूह (G-7) के साथ तीन दिनों के परामर्श के बाद NATO शिखर सम्मेलन में पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने वहां G-7 विज्ञप्ति के लिए जोर दिया और पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों और अन्य जातीय समुदायों को प्रभावित करने वाली  जबरन श्रम प्रथाओं और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में बताया.

चीन के खिलाफ NATO: क्या हो सकते हैं निहितार्थ?

अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ लगाये गये सतत प्रतिबंध, इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच क्वाड वार्ता, पहले अमेरिका और फिर, भारत द्वारा चीनी ऐप्स पर लगाये गये प्रतिबंधों को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को प्रभावित कर सकने वाली चीन की बढ़ती दमनकारी नीतियों के खिलाफ चल रहे वैश्विक प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.

क्या NATO चीन के खिलाफ है, जैसा कि माना जा रहा है?

NATO के नेताओं द्वारा जारी नई ब्रसेल्स विज्ञप्ति में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, NATO देश  'गठबंधन के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए चीन को घेरेंगे'.

चीन के खिलाफ NATO के रुख पर जर्मनी

जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने यह कहा है कि, चीन को खतरे के तौर पर नामित करने के NATO के फैसले को 'अधिक नहीं बताया जाना चाहिए' क्योंकि रूस की तरह बीजिंग भी कुछ क्षेत्रों में भागीदार है.

फ्रांस का चीन से ध्यान न भटकाने का आग्रह

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने NATO गठबंधन से चीन को NATO के सामने अधिक दबाव वाले मुद्दों के तौर पर देखने से विचलित न होने का आग्रह किया है, जिसमें सुरक्षा मुद्दों के खिलाफ लड़ाई, रूस से संबंधित आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.

NATO क्या है?

यह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय देशों का गठबंधन है. इसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूसी आक्रमण के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के तौर पर किया गया था.

NATO के मूल सदस्य कनाडा, बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, इटली, आइसलैंड, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग, पुर्तगाल, नॉर्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम थे.

NATO में मूल रूप से 12 सदस्य थे, लेकिन अब इसमें 30 यूरोपीय देश और अमेरिका एवं कनाडा शामिल हैं.

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