न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने 21 मार्च 2019 को क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में असॉल्ट राइफलों और सेमी-ऑटोमैटिक (अर्ध-स्वचालित) बंदूकों की बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध की घोषणा की.
प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कहा की आतंकी हमले में इस्तेमाल प्रत्येक सेमी-ऑटोमैटिक हथियार पर प्रतिबंध लगेगा. उन्होंने प्रतिबंधित हथियारों के लिए बायबैक योजना की भी घोषणा की.
प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न के मुताबिक इन राइफलों के अलावा उच्च क्षमता वाली मैगजीन और राइफल से की जाने वाली गोलीबारी को तीव्र बनाने वाले सभी डिवाइस को बेचना भी प्रतिबंधित होगा.
नई घोषणा में कहा गया है कि अप्रैल 2019 में एक कानून पारित करके देश में स्ट्राइकर गन कानूनों को लागू कर दिया जाएगा. इसका मतलब यह है कि अब लोग पुलिस की परमिशन के बिना हथियारों की खरीद नहीं कर सकते. इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कुछ अंतरिम उपायों की भी घोषणा की जो नए कानून आने से पहले इन हथियारों की खरीद पर नियंत्रण किया जाएगा.
क्राइस्टचर्च घटना: बता दें, 15 मार्च 2019 को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में आत्मघाती आंतकी हमला हुआ था जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई थी. न्यूजीलैंड सरकार ने हमले के मात्र 72 घंटों के बाद सभी सेमी-ऑटोमैटिक हथियारों को बैन करने का निर्णय ले लिया था. न्यूज़ीलैंड की अल-नूर मस्जिद तथा लिनवुड मस्जिद को निशाना बनाया गया था. मस्जिद अल नूर में हमला स्थानीय समयानुसार दोपहर पौने दो बजे हुआ था. उस समय बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाड़ी भी वहां मौजूद थे लेकिन वे जान बचाकर वहां से निकलने में कामयाब रहे. अल नूर मस्जिद क्राइस्टचर्च के डीन एवेन्यू में हेगली पार्क के सामने स्थित है. न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने मस्जिद में हमले को 'आतंकवादी हमला' और देश के लिए 'काला दिन' बताया. |
न्यूजीलैंड से पहले जानें किन देशों ने हथियार बैन पर उठाए कड़े कदम:
ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया के पोर्ट आर्थर में साल 1996 को आत्मघाती आतंकी हमला हुआ था जिसमें मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 35 मासूम लोगों की जान चली गई थी. इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपने हथियार कानून (गन लॉ) को काफी कठोर और कड़ा बना दिया. उन्होंने सभी प्रकार के सेमी-ऑटोमैटिक हथियार और शॉर्टगन पर प्रतिबंध लगा दिया.
ब्रिटेन: ब्रिटेन में साल 1987 के आतंकी हमले में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 16 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद कई प्रकार के हथियारों पर रोक लगा दी गई थी. लेकिन फिर साल 1996 में एक और आतंकी हमला हुआ. इसके बाद ब्रिटेन ने अपने हथियार कानून (गन लॉ) को और कड़ा कर लिया. ब्रिटेन में सभी प्रकार की हैंडगन और शॉर्टगन पर बैन है.
यूरोपीय संघ: यूरोपीय संघ ने साल 2017 में अपने सभी मित्र देशों से अपील की थी कि हथियारों का लाइसेंस किसी को भी आसानी से ना मिले. यूरोपीय संघ ने इसी के चलते ब्लैंक फायरिंग गन खरीदने के लिए भी लाइसेंस को जरूरी कर दिया. दरअसल, साल 2015 में पेरिस हुए आतंकी हमले में इसी गन का प्रयोग किया गया था.
फिनलैंड: फिनलैंड में साल 2007 और साल 2008 में आतंकी घटना हुई थी जिसमें मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 18 लोगों की मौत हो गई थी. फिनलैंड ने साल 2011 में इस हमले का संज्ञान लिया और बंदूक रखने की उम्र को 18 से बढ़ाकर 20 कर दिया. फिनलैंड सरकार ने सभी पुलिस और मिलिट्री के अधिकारियों को आदेश दे दिया था कि उन लोगों से बंदूक वापस ले ली जाए जो मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं.
जर्मनी: जर्मनी में साल 2002 और साल 2009 में वैध हथियारों का उपयोग करके आतंकी हमले को अंजाम दिया गया था. जर्मनी ने तभी से अपने कानून को कड़ा कर लिया. अब अगर 25 साल से कम उम्र के मनुष्य को बंदूक चाहिए, तो उसे एक साइकैट्रिक परीक्षा देना जरूरी होगा.
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