नीति आयोग ने अभिनव भारत @ 75 के लिए कार्यनीति जारी की

नीति आयोग द्वारा जारी अभिनव भारत @ 75 में कहा गया है कि सिविल सर्विसेज़ में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए वर्तमान अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए.

Dec 20, 2018, 11:14 IST
NITI Aayog report strategy for new India @ 75 released
NITI Aayog report strategy for new India @ 75 released

नीति आयोग ने 19 दिसंबर 2018 को भारत के लिए समग्र राष्‍ट्रीय कार्यनीति जारी की जिसमें 2022-23 के लिए स्‍पष्‍ट उद्देश्‍यों को परिभाषित किया गया है. यह 41 महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों का विस्‍तृत विवरण है, जो पहले से हो चुकी प्रगति को मान्‍यता प्रदान करती है, बाध्‍यकारी रुकावटों की पहचान करती है और स्‍पष्‍ट रूप से वर्णित उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने की दिशा के बारे में सुझाव देती है.

केन्‍द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार, सदस्‍य डॉ. रमेश चन्‍द और डॉ. वी.के. सारस्‍वत तथा मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की उपस्थित में ‘अभिनव भारत @75 के लिए कार्यनीति’ जारी की.

कैसे तैयार की गई कार्यनीति?

  • इस कार्यनीति को तैयार करने में नीति आयोग द्वारा सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण का अनुसरण किया गया है. नीति आयोग द्वारा प्रत्‍येक क्षेत्र में हितधारकों के तीनों समूहों यथा कारोबारी व्‍यक्ति, वैज्ञानिकों सहित शिक्षाविद् और सरकारी अधिकारियों- के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया.
  • इसके बाद, उपाध्‍यक्ष के स्‍तर पर हितधारकों के 7 सेटों में से प्रमुख व्‍यक्तियों के विविधतापूर्ण समूह के साथ विचार-विमर्श किया गया. इन प्रमुख व्‍यक्तियों में वैज्ञानिक और नवोन्‍मेषी, किसान, सामाजिक संगठन, थिंक टैंक, श्रमिकों के प्रतिनिधि और श्रम संगठन तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे.
  • प्रत्‍येक अध्‍याय के मसौदे को विचार-विमर्श के लिए वितरित किया गया और जानकारियां, सुझाव तथा टिप्‍पणियां प्राप्‍त करने के लिए केन्‍द्रीय मंत्रियों को भी साथ जोड़ा गया. इसके दस्‍तावेज का मसौदा सभी राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों में भी वितरित किया गया जहां से प्राप्‍त बहुमूल्‍य सुझावों को इसमें शामिल किया गया.
  • इसे तैयार करते समय सरकार के भीतर– केन्‍द्रीय राज्‍य और जिला स्‍तर पर 800 के ज्‍यादा हितधारकों और लगभग 550 बाहरी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया गया.


सिविल सर्विसेज़ में सुधार हेतु सिफारिशें

नीति आयोग ने सिविल सर्विसेज़ के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु कम करने की सिफारिश की है. आयोग ने कहा है कि सिविल सर्विसेज में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए वर्तमान अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए. आयोग ने कहा है कि अधिकतम आयु में यह 2022-23 तक लागू कर देनी चाहिए. आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी सिविल सेवाओं के लिए केवल एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए.

सभी सेवाओं में भर्ती के लिए सेंट्रल टैलंट पूल बनाए जाने का सुझाव दिया गया है. इसमें अभ्यर्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार विभिन्न सेवाओं में लगाया जाए. यह भी सुझाव दिया गया है कि नौकरशाही में उच्च स्तर पर विशेषज्ञों की लेटरल एंट्री को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञों की सेवाएं मिल सकें.

 

 

कार्यनीति के चार खंड

दस्‍तावेज के 41 अध्‍यायों को चार खंडों, क्रमशः वाहक, अवसंरचना, समावेशन और गवर्नेंस में विभाजित किया गया है. वाहकों पर आधारित पहला खंड आर्थिक निष्‍पादन के साधनों, विकास और रोजगार, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेष पारिस्थितिकी को उन्‍नत बनाने और फिनटेक तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देने संबंधी अध्‍यायों पर ध्‍यान केन्द्रित करता है. इस खंड की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  • वर्ष 2018-23 के दौरान लगभग 8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्‍पाद – जीडीपी की विकास दर प्राप्‍त करने के लिए अर्थव्‍यवस्‍था की गति को निरंतर तेजी से बढ़ाना.
  • इससे अर्थव्‍यवस्‍था के आकार में वास्‍तविक अर्थ में विस्‍तार होगा और यह 2017-18 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 तक लगभग चार ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. सकल स्‍थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) द्वारा आंकी गई निवेश दरों में जीडीपी के मौजूदा 29 प्रतिशत में वृद्धि लाते हुए 2022 तक 36 प्रतिशत तक बढ़ाना.
  • कृषि क्षेत्र में, ई-राष्‍ट्रीय कृषि मंडियों का विस्‍तार करते हुए तथा कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम के स्थान पर कृषि उपज और मवेशी विपणन अधिनियम लाकर किसानों को ‘कृषि उद्यमियों’ में परिवर्तित करने पर बल दिया जाए.
  • ‘शून्‍य बजट प्राकृतिक खेती’ की तकनीकों पर दृढ़ता से बल देना जिससे लागत में कमी आती है, मृदा की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा किसानों की आमदनी बढ़ती है. यह वातावरण के कार्बन को मृदा में ही रखने की एक जांची परखी पद्धति है.
  • खनन अन्‍वेषण और लाइसेसिंग नीति का पु‍नर्निर्माण करने के लिए ‘एक्‍सप्‍लोर इन इंडिया’ मिशन का आरंभ करना.

दूसरा खंड अवसंरचना से संबंधित है जो विकास के भौतिक आधारों का उल्‍लेख करता है. इसकी प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं:

  • पहले से मंजूर किए जा चुके रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) की स्‍थापना में तेजी लाना. आरडीए रेलवे के लिए एकीकृत, पारदर्शी और गतिशील मूल्‍य व्‍यवस्‍था के संबंध में परामर्श देने या सुविज्ञ निर्णय लेने का कार्य करेगा.
  • तटीय जहाजरानी और अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा फ्रेट परिवहन के अंश को दोहरा करना. बुनियादी ढांचा पूरी तरह तैयार होने तक शुरुआत में, वायबिलिटी गैप फंडिंग उपलब्‍ध कराई जाएगी.
  • 2019 में भारत नेट कार्यक्रम के पूरा होने के साथ ही 2.5 लाख ग्राम पंचायतें डिजिटल रूप से जुड़ जाएंगी. वर्ष 2022-23 तक सभी सरकारी सेवाएं राज्‍य, जिला और ग्राम पंचायत स्‍तर पर उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य है.

समावेशन से संबंधित तीसरा खंड समस्‍त भारतीय नागरिकों की क्षमताओं में निवेश के अत्यावश्यक कार्य से संबंधित है. इसकी सिफारिशें इस प्रकार हैं:

  • देश भर में 1,50,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की स्‍थापना और प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य अभियान (पीएम-जेएवाई) प्रारंभ करने सहित आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम का सफल कार्यान्‍वयन.
  • केन्‍द्रीय स्‍तर पर राज्‍य के समकक्षों के साथ सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फोकल प्‍वाइंट बनाना. समेकित चिकित्‍सा पाठ्यक्रम को प्रोत्‍साहन.
  • 2020 तक कम से कम 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्‍स की स्‍थापना के जरिए जमीनी स्‍तर पर नई नवोन्‍मेषी व्‍यवस्‍था सृजित करते हुए स्‍कूली शिक्षा प्रणाली और कौशलों की गुणवत्ता में सुधार लाना.
  • प्रत्‍येक बच्‍चे की शिक्षा के निष्‍कर्षों पर नजर रखने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक राष्‍ट्रीय शैक्षिक रजिस्‍ट्ररी की संकल्‍पना करना.

गवर्नेंस से संबंधित अंतिम खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों के बदलते संदर्भ तथा अर्थव्‍यवस्‍था की बढ़ती जटिलताओं के बीच सुधारों का उत्तराधिकारी नियुक्‍त करने से पहले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों का कार्यान्‍वयन करना.
  • मध्‍यस्‍थता की प्रक्रिया को किफायती और त्‍वरित बनाने तथा न्‍यायालय के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता का स्‍थान लेने के लिए मध्‍यस्‍थता संस्‍थाओं और प्रत्यायित मध्‍यस्‍थों का आकलन करने के लिए नए स्‍वायत्त निकाय यथा भारतीय मध्‍यस्‍थता परिषद की स्‍थापना.
  • लंबित मामलों को निपटाना- नियमित न्‍याय प्रणाली के कार्य के दबाव को हस्‍तांतरित करना.
  • भराव के क्षेत्रों को कवर करने, प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट और नगर निगम के अपशिष्‍ट तथा अपशिष्‍ट से धन सृजित करने की पहलों को शामिल करते हुए स्‍वच्‍छ भारत मिशन के दायरे का विस्‍तार करना.
Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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