भारत की सामरिक परमाणु पनडुब्बी अर्थात् न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने 05 नवंबर 2018 को अपना पहला गश्ती अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिहन्त के अधिकारियों और कर्मियों से मुलाकात की.
पनडुब्बी अरिहंत के इस अभ्यास से भारत के नाभिकीय त्रिकोण की पूर्ण स्थापना हुई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा इस मौके पर मैं आईएनएस अरिहंत के क्रू और उन सभी को बधाई देता हूं जो उस काम में शामिल रहे हैं जो इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह उपलब्धि भारत को उन गिने-चुने देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ी करती है जो एसएसबीएन को डिज़ाइन करने, उसे बनाने और उसके संचालन करने की क्षमता रखते हैं.
परमाणु पनडुब्बी अरिहंत की विशेषताएं
• अरिहंत का जलावतरण पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर द्वारा 26 जुलाई 2009 को जलावतरण किया गया. यह दिन इसलिए भी चुना गया क्योंकि यह कारगिल युद्ध में विजय की सालगिरह भी थी और इस दिन को कारगिल विजय दिवस या विजय दिवस) रूप में मनाया जाता है.
• भारत, अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद छठा ऐसा देश हो गया है, जिसने अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाबी हासिल की है.
• छह हजार टन वजनी अरिहंत में 750 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें तैनात हैं.
• इससे पानी के भीतर और पानी की सतह से परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं.
• इससे पानी के अंदर से किसी विमान को भी निशाना बनाया जा सकता है.
क्यों है खास? |
परमाणु पनडुब्बी अरिहंत एटमी हथियारों से लैस काफी महत्वपूर्ण हथियार है. यह पनडुब्बी समुद्र के किसी भी कोने से लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता वाली मिसाइल छोड़ सकती है. साथ ही, इसे जल्दी डिटेक्ट भी नहीं किया जा सकता. साथ ही परमाणु रिएक्टर से मिली एनर्जी से चलने वाली दूसरी खूबियों के कारण लंबे समय तक गहरे पानी के भीतर भी रह सकती है. भारत को आईएएनएस अरिहंत जैसी छह परमाणु पनडुब्बियों की आवश्यकता है जिन पर 90 हजार करोड़ खर्च का अनुमान है. |
स्मरणीय तथ्य
• अमेरिका 70 से ज्यादा परमाणु पनडुब्बियों के साथ पहले नंबर पर है, जबकि 30 पनडुब्बियों के साथ रूस दूसरे नंबर पर है. इंग्लैंड के पास 12 और फ्रांस के पास 12 पनडुब्बियां हैं.
• चीन, अमेरिका और रूस की पनडुब्बियां 5000 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली हैं, वहीं आईएनएस अरिहंत की क्षमता 750 से 3500 किलोमीटर तक की है.
• परमाणु पनडुब्बी के निर्माण लिए भारत का प्रयास 1970 में शुरू हुआ था. जबकि इस क्षेत्र में भारत को 90 के दशक में सफलता हासिल हुई.
• आईएनएस अरिहंत को पहली बार साल 2009 में विशाखापत्नम में शिप बिल्डिंग सेंटर में लॉन्च किया गया था.
• अगस्त 2018 में इसे भारतीय नौसेना में सेवा के लिए सौंप दिया गया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation