इस ओ-स्मार्ट (महासागर सेवाएँ, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन, और प्रौद्योगिकी) योजना को 29 अगस्त, 2018 को कैबिनेट समिति द्वारा मंजूर किया गया था. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा यह अम्ब्रेला योजना लागू की गई है.
इस ओ-स्मार्ट योजना में कुल 16 उप-परियोजनायें शामिल हैं, जो महासागर विकास गतिविधियों जैसेकि, प्रौद्योगिकी, संसाधनों, सेवाओं, देख-रेख और विभिन्न विज्ञानों से संबंधित हैं.
इस 20 सितंबर, 2020 को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब दिया था जिसमें उन्होंने भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र के बारे में बात की थी जोकि वर्तमान में हिंद महासागर क्षेत्र के उन 25 देशों के लिए सेवारत है जिन्हें ओ-स्मार्ट योजना के तहत भी शामिल किया गया है.
ओ-स्मार्ट योजना क्या है?
ओ-स्मार्ट (महासागर सेवा, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन, और प्रौद्योगिकी) योजना सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसे वर्ष 2017-2018 से वर्ष 2019-2020 की अवधि के दौरान कुल 1,623 करोड़ रूपये लागत के साथ क्रियान्वित किया गया है.
इस योजना का उद्देश्य महासागर अनुसंधान को आगे बढ़ाना और प्रारंभिक चेतावनी मौसम प्रणाली स्थापित करना है. यह योजना संसाधनों, प्रौद्योगिकी, निगरानी, सेवाओं और विज्ञान जैसी महासागर विकास गतिविधियों से भी संबंधित है और आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी पृष्ठभूमि भी प्रदान करती है जो ब्लू इकोनॉमी के विभिन्न पहलुओं के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है.
ओ-स्मार्ट योजना का महत्व क्या है?
यह ओ-स्मार्ट योजना ऐसी सेवाएं प्रदान करेगी जो समुद्र क्षेत्रों और तटीय राज्यों सहित तटीय क्षेत्रों में रहने वाले उपयोगकर्ता समुदायों को कई आर्थिक लाभ प्रदान करेगी. इन क्षेत्रों में मत्स्य पालन, शिपिंग और अपतटीय उद्योग शामिल होंगे.
इस योजना का लाभ मछुआरा समुदाय को मिल रहा है, जो अपने मोबाइल फोन के माध्यम से तटीय जल क्षेत्र में स्थानीय मौसम की स्थिति और मछली पाए जाने की संभावना जैसी कई चीजों के बारे में दैनिक जानकारी प्राप्त करते हैं. इससे मछुआरों के लिए खोज के समय को कम करने में मदद मिली है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी ईंधन खपत भी कम हुई है.
ओ-स्मार्ट योजना का उद्देश्य
• यह योजना मरीन लिविंग रिसोर्सेज और भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में उनके भौतिक संबंधों को स्थापित और नियमित रूप से अद्यतन करती है.
• इसके तहत समय-समय पर भारत के तटीय जल के स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए समुद्री प्रदूषकों के जल स्तर की निगरानी के साथ-साथ तटीय कटाव के मूल्यांकन के लिए तटरेखा परिवर्तन मानचित्र को भी विकसित किया जाता है.
• भारत के आसपास के समुद्रों से रियल टाइम डाटा हासिल करने के लिए अत्याधुनिक समुद्र अवलोकन प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला विकसित करना भी इसका उद्देश्य है.
• समाज के लाभ के लिए उपयोगकर्ता-उन्मुख सलाह, सागर जानकारी, डाटा, चेतावनी और डाटा उत्पादों का संग्रह तैयार करना और उसे प्रसारित करना.
• समुद्र के पूर्वानुमान और रि-एनालिसिस सिस्टम के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल विकसित करना.
• तटीय अनुसंधान के लिए सैटेलाइट डाटा के सत्यापन के लिए एल्गोरिदम विकसित करना. तटीय अनुसंधान में परिवर्तन की निगरानी करना.
• समुद्री जीवों के दोहन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना.
• महासागरों से ऊर्जा और मीठे पानी पैदा करने वाली प्रौद्योगिकियों का विकास करना.
• पानी के भीतर वाहनों और प्रौद्योगिकियों का विकास और गिट्टी (रोड़ी) जल उपचार सुविधाओं की स्थापना.
• महासागर निगरानी/ सर्वेक्षण/ प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रमों के लिए पांच अनुसंधान जहाजों के रखरखाव और संचालन में सहायता प्रदान करना.
भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र
इस भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र(ITEWC) की स्थापना भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS), हैदराबाद में की गई थी.
यह केंद्र पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन काम कर रहा है और वर्तमान में हिंद महासागर क्षेत्र के 25 से अधिक देशों में सुनामी चेतावनी सेवाएं प्रदान कर रहा है. ITEWC और INCOIS नियमित रूप से प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं और सुनामी मॉक अभ्यास का आयोजन करते हैं ताकि किसी भी संभावित सूनामी के बारे में तैयारी और जागरूकता पैदा की जा सके.
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