अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के अध्यक्ष जज अब्दुलकवी युसूफ ने कुलभूषण जाधव मामले में संयुक्त राष्ट्र (UN) में कहा है कि पाकिस्तान ने वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है. अब्दुलकवी युसूफ ने 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सम्मुख ICJ की रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी.
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा 17 जुलाई को दिए गये फैसले में कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख न्यायिक अंग ने पाकिस्तान को वियना संधि के नियम-36 के तहत अपने कर्तव्यों का उल्लंघन करते हुए पाया है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि पाकिस्तान ने इस मामले में आवश्यक कदम नहीं उठाए.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा अपने फैसले में पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को मृत्युदंड दिए जाने के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया है. इसके अतिरिक्त, जाधव को काउंसलर एक्सेस दिए जाने का भी आदेश दिया. भारत इस अधिकार के लिए लंबे समय से कह रहा था और ICJ का यह फैसला भारत की कूटनीतिक जीत को दर्शाता है.
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कुलभूषण जाधव मामले में ICJ का फैसला
• ICJ ने 17 जुलाई 2019 को दिए गये अपने फैसले में कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को उसे दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया.
• न्यायाधीश अब्दुलकवी अहमद यूसुफ की अध्यक्षता वाली ICJ के बेंच ने भारत के पक्ष में 15-1 मतों से यह फैसला सुनाया.
• आईसीजे ने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया था और दोष सिद्ध करने के लिए प्रभावी समीक्षा करने का आह्वान किया था. साथ ही, पाकिस्तान को जाधव को बिना देरी किए काउंसलर एक्सेस प्रदान करने का निर्देश दिया था.
• अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने यह भी कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुलभूषण जाधव भारत का ही नागरिक है.
पृष्ठभूमि
कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर "जासूसी और आतंकवाद" के आरोप में 3 मार्च, 2016 को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तानी सुरक्षा बलों का आरोप है कि जाधव ने कथित रूप से ईरान से देश में प्रवेश किया था. पाकिस्तान का आरोप है कि जाधव भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करते हुए पाकिस्तान में दाखिल हुआ. कुलभूषण जाधव को 10 अप्रैल, 2017 को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.
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