लोकसभा ने वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक-2018 को मंजूरी प्रदान की

Feb 13, 2019, 17:25 IST

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद कुष्ठ रोग के आधार पर तलाक नहीं लिया जा सकेगा.

Parliament passes Personal Laws Amendment Bill 2019
Parliament passes Personal Laws Amendment Bill 2019

बजट सत्र के अंतिम दिन 13 फरवरी 2019 को संसद ने विधेयक पर सहमति बनने के बाद इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया. निम्न एवं उच्च सदन में पहले वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को ध्वनि मत से पारित किया गया.

इसमें विवाह विच्छेद अधिनियम 1869, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939, विशेष विवाह अधिनियम 1954 तथा हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है.

वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक-2018

•    विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त रोगियों को समाज से अलग किया गया था क्योंकि कुष्ठ रोग निदान योग्य नहीं था और समाज उनके प्रतिकूल था.

•    तथापि इस बीमारी का निदान करने के लिये गहन स्वास्थ्य देखभाल और आधुनिक चिकित्सा की उपलब्धता के परिणमस्वरूप उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन होना आरंभ हुआ है.

•    वर्तमान में कुष्ठ रोग पूर्णत: निदान योग्य है लेकिन कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के प्रति विभेद करने वाले पुराने विधायी उपबंध विभिन्न विधियों में आज भी विद्यमान हैं. ऐसे में इन विभेदकारी उपबंधों को समाप्त करने के लिये विधेयक लाया गया है.

•    इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद कुष्ठ रोग के आधार पर तलाक नहीं लिया जा सकेगा.

•    इसके अतिरिक्त भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उस घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किये हैं जिसमें कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के खिलाफ भेदभाव समाप्त करने का आह्वान किया गया है.

•    वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र और राज्य सरकारों को कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कदम उठाने को कहा था.

•    विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उन कानूनों और प्रावधानों को निरस्त करने की सिफारिश की थी जो कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं. इसी रिपोर्ट के आधार पर यह विधेयक लाया गया है.

राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम

•    राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम वर्ष 1955 में सरकार द्वारा शुरू की गयी एक योजना है.

•    इस कार्यक्रम को विश्व बैंक की सहायता से 1993-94 से बढ़ाकर 2003-04 तक कर दिया गया.

•    इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य से 2005 तक कुष्ठ उन्मूलन था और इस 1,10,000 की संख्या को कम करना था.

•    राष्ट्रीय कुष्ठ  रोग उन्मूलन कार्यक्रम को राज्य /ज़िला स्तर पर विकेंद्रीकृत किया गया और कुष्ठ रोग सेवाओं को 2001-2002 के बाद सामान्य देखभाल प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया.

•    इससे कुष्ठ (पीएएल) से प्रभावित व्यक्तियों के साथ होने वाले भेदभाव को कम करने में मदद मिली.

•    मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) सभी उपकेंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी अस्पतालों और औषधालयों में सभी कार्य दिवसों पर निःशुल्क प्रदान की जा रही है.

•    राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत के बाद कुष्ठ कार्यक्रम भी मिशन का अनिवार्य हिस्सा रहा है.

•    अब तक 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने कुष्ठ रोग उन्मूलन का स्तर प्राप्त कर लिया है. साथ ही 640 जिलों में से 542 जिलों (84.7%) ने भी मार्च 2012 तक कुष्ठ रोग उन्मूलन प्राप्त कर लिया है.

कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के उद्देश्य

 1. प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा सक्रिय निगरानी के माध्यम से प्रारंभिक पहचान;

 2. मध्यम से कम प्रभावित स्थानिक क्षेत्रों/जिलों के नज़दीकी गांवों के केंद्रों या निर्धारित स्थान पर मल्टी-ड्रग थेरेपी (एमडीटी) देकर मामलों का नियमित उपचार

 3. रोग से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए त्वरित स्वास्थ्य शिक्षा और जन जागरूकता अभियान का कार्यान्वयन करना

 4. उपयुक्त चिकित्सा पुनर्वास और कुष्ठ रोग अल्सर देखभाल सेवाएं

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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