14 जनवरी 2015 को पोप फ्रांसिस ने जोसफ वाज को संत घोषित किया.जोसफ वाज श्री लंका से संत घोषित होने वाले पहले व्यक्ति है. जोसफ वाज को पोप जॉन पॉल द्वारा 1995 में धन्य घोषित किया गया था. पोप फ्रांसिस ने श्रीलंका भ्रमण के दौरान हजारों लोगों के बीच कोलंबो में समंदर के किनारे यह घोषणा की. पोप ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वाज श्रीलंका की धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण थे.
संत जोसफ वाज के बारे में
संत जोसफ का जन्म 1651 में गोवा में हुआ था. उष्णकटिबंधीय द्वीप में प्रवेश के दौरान उन्हें संदिग्ध जासूस के संदेह में पकड़ लिया गया था. हाईलैंड वर्षावन में कैंडी राज्य के लिए अपना रास्ता बनाने से पहले वाज ने अपने पांच साल गुप्त रूप से उपदेश देने में गुजारा. यह जानकारी मिलने पर कि वह एक संत थे, उन्हें एक साल के लिए शक्तिशाली बौद्ध राजा ने हिरासत में ले लिया था. राजा विमाला धर्मा सूरिया द्वितीय ने उन्हें डच से बचाया.वाज की प्रतिष्ठा को बल तब मिला जब उन्होंने सूखे क्षेत्र में बरसात कराने की बात को सच कर दिखाया. 1711 में 60 वर्ष की आयु में अपनी मृत्यु तक वाज कैंडी में ही रहे. उस समय तक उन्होंने 30000 लोगों का जीवन बदल दिया था और धर्म गुरुओं का एक नेटवर्क निर्मित किया. सीलोन में सिर्फ अपने ही बल पर कैथोलिक धर्म की पुर्नस्थापना भी की.
घोषणा की प्रक्रिया
कैनोनिजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कैथोलिक चर्च अथवा ईस्टर्न ऑर्थोडोक्स चर्च से किसी मृत व्यक्ति के कार्यों को देखते हुए संत घोषित किया जाता है.इस घोषणा के आधार पर व्यक्ति को केनन अथवा मान्यता प्राप्त संतों की सूची में शामिल कर लिया जाता है. वास्तविक रूप से व्यक्तियों को बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया के संत की मान्यता दी जाती है. बाद में कई अलग प्रक्रियाएं होती हैं, इन्हीं में से एक को रोमन कैथोलिक चर्च और ईस्टर्न ऑर्थोडोक्स चर्च द्वारा उपयोग के लिए विकसित किया गया है.
कैनोनिजेशन की प्रक्रिया में चार चरण होते हैं, जिससे संतों को गुजरना होता है
ईश्वर का सेवक → आदरणीय → धन्य → संत
किसी व्यक्ति के मरने के पांच साल बाद एक विशप द्वारा उसके केनोइनजेशन के लिए प्रार्थना की जाती है. पहले चरण में कुछ गवाहों को इकट्ठा करना होता है जो ईसाई मूल्यों के लिए व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों की पुर्नगणना कर सकते हैं. इस बिंदु पर व्यक्ति को ईश्वर का सेवक अथवा आदरणीय की उपाधि दी जा सकती है.
अधिक जानकारी जुटाने के बाद संत की उपाधि के लिए पोप से अनुशंसा की जा सकती है जिसके द्वारा व्यक्ति को धन्य घोषित किया जाना है. इसका अर्थ है कि व्यक्ति को एक विशेष क्षेत्र अथवा प्रांत में पूजन की अनुमति दी जा सकती है.धन्य घोषित किये जाने के बाद व्यक्ति को धन्य की उपाधि मिल जाती है.
अंततः कांग्रीगेशन केनोइनजेशन की सिफारिश कर सकता है. जब पोप एक व्यक्ति को केनोइन करते हैं,वह घोषणा करते हैं कि उस व्यक्ति को ईसाई मूल्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण के रूप में देखा जाए और सार्वजनिक रूप से सार्वभौमिक चर्च में उसका आदर के साथ पूजन किया जा सकता है. केनोइनजेशन के बाद वह व्यक्ति जिसे धन्य का टाइटल दिया जा चुका है, संत की उपाधि दे दी जाती है..
Latest Stories
Current Affairs One Liners 25 August 2025: किसे भारत का नया डिप्टी NSA नियुक्त किया गया है?
एक पंक्ति मेंWeekly Current Affairs Quiz 18 से 24 अगस्त 2025: ICC प्लेयर ऑफ द मंथ का अवार्ड किस भारतीय ने जीता?
परीक्षण और प्रश्नएसेट मोनेटाइजेशन से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए गए, पढ़ें खबर
राष्ट्रीय | भारत करेंट अफेयर्स
यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!
Comments
All Comments (0)
Join the conversation