National Space Day: चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े इन 10 सवालों के जवाब आपको जरुर जानने चाहिए

Sep 1, 2023, 14:55 IST

भारत ने इतिहास रचते हुए अपने चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करा दिया है. यहां हम चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब को जानने की कोशिश करेंगे. जानें तिरंगा पॉइंट, नेशनल स्पेस डे, और शिव शक्ति पॉइंट के बारें.  

चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े 10 प्रमुख सवाल
चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े 10 प्रमुख सवाल

भारत ने इतिहास रचते हुए अपने चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करा दिया है. विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के साथ भारत दुनिया में ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है. जानें तिरंगा पॉइंट, नेशनल स्पेस डे, और शिव शक्ति पॉइंट के बारें. 

चंद्रयान-3 की टाइम लाइन:

  LVM3-M4-Chandrayaan-3 Mission Time line 

यहां हम चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब को जानने की कोशिश करेंगे. (Chandrayaan 3 mission questions and answers Hindi)

1. कौन से देश अब तक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल हुए है?

अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ (अब रूस) चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रहे है. अब इस लिस्ट में भारत भी शामिल हो गया है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया है.

2. कौन से देश अब तक चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके है?

अभी तक कोई भी देश चंद्रमा के साउथ पोल पर कोई भी सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल नहीं हुआ था. भारत का पिछला मिशन चंद्रयान-2 (2019) लैंड होने में सफल नहीं हुआ था. लेकिन भारत ने इतिहास रचते हुए यह मुकाम हासिल कर लिया है.

3. चंद्रयान-3 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कौन है?

चंद्रयान-3 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल है, उन्होंने वर्ष 2019 में चंद्रयान -3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की कमान संभाली. इससे पहले वह इसरो के स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके है. पी वीरमुथुवेल ने इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले है और उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) से पढ़ाई की है.

4. राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस कब मनाया जाता है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस' (National Space Day) के रूप में मनाने की घोषणा की. चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इस दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए इसे नेशनल स्पेस डे के रूप में घोषित किया गया है. साथ ही 2019 में जिस पॉइंट पर चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग हुई थी उस पॉइंट को 'तिरंगा' पॉइंट (Tiranga’ point) नाम दिया गया है.

5. चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर जिस पॉइंट पर लैंड हुआ था उसे किस नाम से जाना जाता है?

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के जिस पॉइंट (सतह) पर लैंड हुआ था उसे 'शिव शक्ति' पॉइंट (Shiv Shakti Point) नाम दिया गया है. गौरतलब है कि भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.  

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6. इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को विक्रम नाम क्यों दिया?

इसरो ने, विक्रम लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. विक्रम लैंडर का भार 1752 किलोग्राम है. विक्रम लैंडर ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है. सॉफ्ट लैंडिंग उसे कहते हैं, जिसमें बिना किसी नुकसान के कोई भी लैंडर चांद की सतह पर उतरता है. 

7. इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के साथ भेजे गए रोवर को क्या नाम दिया है?

प्रज्ञान: चंद्रयान-3 मिशन को इसरो ने 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया था. इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को 'विक्रम' और 'रोवर' को 'प्रज्ञान' नाम दिया है जो एक वैज्ञानिक पेलोड है. 'प्रज्ञान' एक रोबोटिक व्हीकल है जिसका संस्कृत में अनुवाद 'ज्ञान' होता है. चंद्रयान-3 मिशन 2019 के चंद्रयान-2 मिशन का अनुवर्ती है. चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 

8. चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर की लाइफ कितनी है?

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर 14 दिनों तक विभिन्न प्रकार की खोज में लगे रहेंगे. सोलर पैनल की मदद से ये डिवाइस चार्ज होकर चांद पर एक्टिव रहेंगे. साथ ही इसरो चीफ एस सोमनाथ का यह भी कहना है कि 14 दिन बाद भी चंद्रयान के काम करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.  

9. 23 अगस्‍त को ही क्‍यों करायी गयी चंद्रयान-3 की लैंडिंग?

इसरो ने 23 अगस्‍त को लॉन्चिंग की प्लानिंग पहले ही कर ली थी. ऐसा इसलिए किया गया कि चांद के एक हिस्‍से पर केवल 14 दिन सूरज की रौशनी पहुंचती है और अगले 14 दिन वहां अंधेरा रहता है. सोलर पैनल से चलने वाले लैंडर और रोवर को सूरज की रोशनी की आवश्यकता होगी. इसलिए इसरो ने लॉन्चिंग डेट ऐसी चुनी कि विक्रम के लैंड होने के समय साउथ पोल एरिया में सूरज की रोशनी पहुंचती रहे.  

10. चंद्रयान -3 के लैंडिंग के चार फेज कौन- कौन से थे?

रफ ब्रेकिंग फेज: इस चरण के दौरान, सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर का क्षैतिज वेग लगभग 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होकर शून्य के करीब होना चाहिए. 

एटीट्यूड होल्डिंग फेज: चंद्रमा की सतह से लगभग 7.43 किलोमीटर की ऊंचाई पर, लैंडर 3.48 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर स्थिति में झुक जाता है. 

फाइन ब्रेकिंग फेज: यह फेज लगभग 175 सेकंड तक चलेगा, इस दौरान, लैंडर लैंडिंग क्षेत्र तक क्षैतिज रूप से लगभग 28.52 किलोमीटर की यात्रा करेगा, साथ ही ऊंचाई लगभग 1 किलोमीटर कम हो जाएगी. चंद्रयान-2 ने एटीट्यूड होल्ड और फाइन-ब्रेकिंग फेज के बीच कंटोल खो दिया था.

टर्मिनल डीसेंट: यह लैंडिग का आखिरी फेज है जब पूरी तरह से लंबवत लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए तैयार होता है. 

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