संसद ने 02 जनवरी 2018 को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) विधेयक, 2017 को राज्यसभा की मंजूरी के साथ पारित कर दिया है. यह विधेयक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, 1981 में संशोधन लाएगा.
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लोकसभा ने अगस्त 2017 में राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) विधेयक, 2017 ध्वनि मत से पारित कर दिया था. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
मुख्य तथ्य:
• केंद्र सरकार को इस विधेयक में बैंक की अधिकृत पूंजी में 5 हजार करोड़ रूपए से 30 हजार करोड़ रुपए बढ़ाने की अनुमति दी गई है.
• नार्बाड ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि तथा औद्योगिक विकास के लिए कर्ज देता है और इसे नियंत्रित भी करता है.
• केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से विचार-विमर्श कर इस राशि को बढ़ा सकती है. वर्तमान में, केंद्र सरकार बैंक में 99.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है और शेष भारतीय रिजर्व बैंक के साथ है.
• नाबार्ड को कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के लिए ऋण जैसी सुविधाएं प्रदान करने और इनके नियमन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
• नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड की अधिकृत पूंजी 100 करोड़ रुपये है.
• नाबार्ड में केंद्रीय सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 प्रतिशत निर्धारित की गई है.
• नाबार्ड अधिनियम, 1981 के अनुसार, नाबार्ड में केंद्र सरकार एवं रिजर्व बैंक की संयुक्त हिस्सेदारी को न्यूनतम 51 प्रतिशत रखने का प्रावधान था.
• नाबार्ड में प्रस्ताविक विधेयक द्वारा रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी का केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण करने का प्रावधान किया गया है.
• रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी वर्तमान में 0.4 प्रतिशत है जो लगभग 20 करोड़ रुपये के बराबर है.
• नाबार्ड में भारत सरकार की हिस्सेदारी 99.6 प्रतिशत है और अधिग्रहण के पश्चात यह पूर्णतया केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली संस्था है.
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