लोकसभा ने 20 दिसंबर 2017 को अचल संपत्ति संशोधन बिल को मंजूरी दे दी. केंद्र सरकार सुरक्षा उद्देश्यों हेतु अचल संपत्ति के अधिग्रहण के बारे में संपत्ति के मालिक को पुन: नोटिस जारी कर सकेगी ताकि उसे अपनी बात रखने का मौका मिल सके.
इस बिल को शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने निचले सदन में पेश किया जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया.
मुख्य तथ्य:
• केंद्रीय मंत्री ने इस बिल पर बहस के दौरान जवाब देते हुए कहा कि अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी है और वे उचित मुआवजा देने हेतु प्रतिबद्ध है.
• जमीन अधिग्रहण में गरीबों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. यह प्रावधान इस वजह से किया गया है ताकि जमीन के मालिक का पक्ष सुना जा सके.
• इस बिल में पहले भी 11 संशोधन हो चुके हैं. यह 12 संशोधन सीमित और विशेष उदेश्य के लिहाज से लाया गया है.
• इस विधेयक के जरिए किए जा रहे संशोधन का मकसद सिर्फ रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा कब से दिया जाय यह तय करना है.
• इस विधेयक में अचल संपत्ति अधिनियम 1952 में संशोधन किया गया है, जो केंद्र सरकार को किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य हेतु अचल संपत्ति या जमीन के अधिग्रहण का अधिकार देती है. लेकिन ऐसे अधिग्रहण का सार्वजनिक उद्देश्य होना चाहिए, जैसे रक्षा, केंद्र सरकार के कार्यालय और निवास का निर्माण.
• यह विधेयक, मुकदमे के प्रावधानों का दुरूपयोग कर बेईमान लोगों द्वारा अनावश्य्क लाभ उठाने को रोकने में मदद करेगा.
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