करेंट अफेयर्स: 21 दिसम्बर 2017
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 दिसम्बर 2017 को मानव संसाधनों में कुशलता तथा क्षमता सृजन के लिए वड़ोदरा में देश का पहला राष्ट्रीय रेल तथा परिवहन विश्वविद्यालय (एनआरटीयू) स्थापित करने की स्वीकृत दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.
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यह विश्वविद्यालय यूसीजी की नोवो श्रेणी (मानित विश्वविद्यालय संस्थान) नियमन, 2016 के अंतर्गत मानित विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित होगा. केंद्र सरकार अप्रैल 2018 तक सभी स्वीकृतियां देने तथा जुलाई-2018 में पहला शैक्षिक सत्र शुरू करने की दिशा में काम कर रही है.
राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय:
- रेल मंत्रालय कंपनी अधिनियम, 2013 के सेक्शन 8 के अंतर्गत लाभ नहीं कमाने वाली कंपनी बनाएगा, जो प्रस्तावित विश्वविद्यालय की प्रबंधक कंपनी होगी.
- कंपनी विश्वविद्यालय को वित्तीय तथा संरचना संबंधी समर्थन देगी और विश्वविद्यालय के कुलपति तथा प्रति-कुलपति की नियुक्ति करेगी.
- पेशेवर लोगों तथा शिक्षाविदों वाला प्रबंधन बोर्ड प्रबंधक कंपनी से स्वतंत्र होगा और उसे अपने सभी अकादमिक तथा प्रशासनिक दायित्व निभाने की स्वायत्ता होगी.
- वड़ोदरा स्थित भारतीय रेल की राष्ट्रीय अकादमी (एनएआईआर) की वर्तमान जमीन और अवसंरचना का इस्तेमाल किया जाएगा और विश्वविद्यालय उद्देश्य के लिए इनमें आवश्यक संशोधन किया जाएगा.
- यह पूर्णकालिक संस्थान होगा और इसमें 3,000 पूर्णकालिक विद्यार्थी प्रवेश लेगें. नये विश्वविद्यालय या संस्थान का धन पोषण पूरी तरह रेल मंत्रालय करेगा.
- यह विश्वविद्यालय भारतीय रेल को आधुनिकीकरण के रास्ते पर ले जाएगा और उत्पादकता बढ़ाकर तथा ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देकर परिवहन क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेता बनाने में सहायक होगा.
- विश्वविद्यालय कुशल मानव शक्ति संसाधन का पूल बनाएगा और भारतीय रेल में बेहतर सुरक्षा, गति और सेवा प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिक का लाभ उठायेगा.
- विश्वविद्यालय टेक्नोलॉजी को सक्रिय करके तथा टेक्नोलॉजी प्रदान करके ‘स्टार्ट अप इंडिया’ तथा ‘स्किल इंडिया’ को समर्थन देगा तथा उद्यमियता को बढ़ावा देने के साथ-साथ बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करेगा. इससे रेलवे तथा परिवहन क्षेत्र में परिवर्तन होगा तथा लोगों और वस्तुओं की आवाजाही में तेजी आएगी.
भारत वैश्विक साझेदारी और अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी के माध्यम से विशेषज्ञता के वैश्विक केन्द्र के रूप में उभरेगा. विश्वविद्यालय की योजना पढ़ाने के नये तरीकों तथा टैक्नोलॉजी एप्लीकेशनों (सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग, रेडियो फ्रीकवेंसी पहचान तथा कृत्रिम गुप्तचर) को अपनाने की है ताकि ऑन-जॉब कार्य प्रदर्शन तथा उत्पादकता में सुधार लाया जा सके. भारतीय रेल के साथ घनिष्ट सहयोग से हितधारकों की रेल सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित होगी. यह ‘लाइव लैब’ के रूप में काम करेगा और वास्तविक जीवन की समस्याओं के निराकरण में सक्षम होगा.
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