केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31मार्च 2017 को मिनिमम एज कंवेंशन, 1973 (सं. 138) और वोर्स्ट फॉर्म्स ऑफ चाइल्ड लेबर कंवेंशन, 1999 (सं. 182) को लागू करने की मंजूरी दे दी.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के दो मौलिक आचार– संहिता के सत्यापन की मंजूरी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल के बैठक में दी गई.
मिनिमम एज कंवेंशन नौकरी करने के लिए न्यूनतम सीमा से संबंधित है जबकि वोर्स्ट फॉर्म्स ऑफ चाइल्ड लेबर कंवेंशन, 1999 बाल मजदूरी के सबसे बुरे रुपों को रोकने के लिए की जाने वाली तत्काल कार्रवाई और बाल मजदूरी निषेध से संबंधित है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में भारत की भूमिका:
• अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) जो 1919 में अस्तित्व में आया था, का संस्थापक सदस्य है. वर्तमान में आईएलओ में 187 सदस्य हैं.
• आईएलओ में कार्रवाई का प्रमुख तरीका कंवेंशन, रेकमेंडेशंस और प्रोटोकॉल के रूप में अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्थापना करना है.
• भारत ने अब तक 45 कंवेंशन की पुष्टि की है, जिसमें से 42 प्रभावी हैं. इनमें से 4 मौलिक या प्रमुख कंवेंशन हैं.
पृष्ठभूमि:
• केंद्र सरकार ने बहु आयामी रणनीति अपनाई है. इसमें सख्त कानून और परियोजना आधिरत दृष्टिकोण दोनों ही शामिल किए गए हैं ताकि बाल मजदूरी से संबंधित चिंताओं को दूर किया जा सके.
• इस रणनीति के हिस्से के तौर पर, बाल और किशोर मजदूरी ( निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 को किसी भी पेशे या प्रक्रिया में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रोजगार या काम पर रखने पर रोक लगाने के लिए अधिनियमित किया गया था.
• हाल के वर्षों में, सरकार ने बाल मजदूरी के उन्मूलन के प्रयास को बढ़ा दिया है. यह 2030 के सतत विकास एजेंडा के तहत आने वाली एक प्रतिबद्धता भी है.
• कंवेंशन संख्य 138 और 182 की पुष्टि इस दिशा में उठाया गया सही कदम माना जा रहा है.
• अब तक, 169 देशों द्वारा कंवेंशन 138 की पुष्टि की गई है और 180 देशों ने कंवेंशन 182 की पुष्टि की है.
• इसलिए, इन दो प्रमुख कंवेंशन को मंजूरी देकर, भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने बाल मजदूरी निषेध कानून अपनाए गैं और बच्चों को रोजगार देने और काम पर रखने के कार्यों पर सख्त प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
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