भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए, छोटे और बड़े व्यापारियों के डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए व्यापारी छूट दरों (एमडीआर) के अलग-अलग शुल्क दर सुझाए हैं.
बदलाव का उद्देश्य देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है, क्योंकि डिजिटल भुगतान को जोरदार प्रोत्साहित करने के बावजूद सरकार को कोई अपेक्षित परिणाम नहीं मिला है.
यह उम्मीद की जाती है कि विभेदित एमडीआर की शुरुआत से डेबिट कार्ड के उपयोग की स्वीकृति में वृद्धि हो जाएगी और यह छोटे व्यापारियों के लिए लेनदेन की लागत भी कम करेगा.
एमडीआर एक बैंक द्वारा व्यापारियों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए लगाया जाने वाला दर है.
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भारतीय रिज़र्व बैंक के फैसले की मुख्य बातें
भारतीय रिज़र्व बैंक के नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, छोटे व्यापारियों जिनका वार्षिक कारोबार 20 लाख रुपये तक है, उनके लिए डेबिट कार्ड या (पीओएस) मशीनों या ऑनलाइन लेनदेन के जरिए प्रति लेन-देन की एमडीआर दर 0.40 प्रतिशत या अधिकतम रु.200 तय किया गया है.
अगर यह लेन-देन क्यूआर (त्वरित प्रतिक्रिया) कोड के माध्यम से होगा तो यह शुल्क 0.30 प्रतिशत या सौ रुपये प्रति लेन-देन तय किया गया है.
यदि एक व्यापारी का वार्षिक कारोबार 20 लाख रुपये से अधिक है, तो 0.90 फीसदी एमडीआर शुल्क या 1000 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन की सीमा के साथ लागू होगा. और लेन-देन QR कोड के माध्यम से एक समान कैप के साथ यह शुल्क 0.80% होगा.
ये दिशानिर्देश 1 जनवरी 2018 से लागू होंगे और यह सुनिश्चित करना बैंकों की जिम्मेदारी होगी कि व्यापारी पर लगाए गए एमडीआर निर्धारित दर या सीमा से आगे नहीं बढ़े.
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इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, व्यापारियों, विशेष रूप से छोटे व्यापारियों द्वारा डेबिट कार्ड स्वीकृति को प्रोत्साहित करना और इसमें शामिल संस्थाओं के लिए व्यापार की स्थिरता सुनिश्चित करना है.
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