भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 7 जून 2017 को वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की. हालांकि प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है.
शीर्ष बैंक ने लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर या अल्पकालिक ब्याज दरों को यथावत रखा है. इससे पहले अक्टूबर 2016 में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी की थी, तब से यह 6.25 फीसदी पर बरकरार है.
हालांकि उसने बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने को लेकर सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती की ताकि आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके. एसएलआर बैंकों के पास जमा लोगों की जमा राशि की वह न्यूनतम सीमा है जिसे उन्हें सरकारी आसानी से खरीदी बेची जा सकने वाली सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखना होता है.
वहीं रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता जबकि रिवर्स रेपो के अंतर्गत आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी लेता है.
केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया. साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया.
खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2017 में घटकर 3 प्रतिशत पर आ गयी जबकि नोटबंदी के प्रभावों के बीच जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में घट कर 6.1 प्रतिशत रही.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation