केंद्रीय बैंक (आरबीआई) मुद्रा नोटों की असलियत व संख्यात्मक सटीकता की जांच के लिए मुद्रा सत्यापन व प्रसंस्करण (sophisticated Currency Verification and Processing - CVPS) मशीनों का प्रयोग कर रहा है.
केंद्रीय बैंक के अनुसार मुद्रा सत्यापन व प्रसंस्करण मशीनें नोट गिनने वाली मशीनों से कहीं बेहतर हैं. प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत बनाने के लिए आरबीआई उपलब्ध मशीनों का इस्तेमाल दो पारियों में कर रहा है. इसके साथ ही वह कुछ वाणिज्यिक बैंकों से अस्थाई तौर पर ली गई मशीनों का उपयोग भी कर रहा है. बैंक अपनी प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है.
साथ ही केंद्रीय बैंक ने नोटों की गिनती के लिए तैनात कर्मियों की संख्या बताने से इनकार कर दिया है. आरटीआई के जवाब में बैंक ने कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 7 (9) के अनुसार यह जानकारी नहीं दी जा सकती.
इससे पूर्व सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने पर भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्टीकरण दिया था. जिसके अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के किसी भी कार्यालय में 500 और 1000 रुपये के अप्रचलित नोटों की गिनती के लिए गिनती मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा.
सामान्य मशीन का प्रयोग नहीं-
पूर्व में आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में कहा, '500 और 1000 रुपये के नोटों की गिनती के लिए बैंक के किसी भी कायार्लय में मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया. बैंक के अनुसार इसके लिए पट्टे पर भी कोई मशीन नहीं ली गयी. 10 अगस्त 2017 को दायर आरटीआई में नोटों को गिनने के लिए कितनी मशीनों का इस्तेमाल किया गया था, इस बात की आरटीआई के तहत मांगी गई थी.
आरबीआई द्वारा 30 अगस्त 2017 को जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि 15.28 लाख करोड़ रुपए जो कि बैन किए गए 500 और 1000 रुपए के कुल नोटों का 99 फीसद हिस्सा है, बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं.
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