आज 14 अप्रैल 2016 को हम भारतीय संविधान के वास्तुकार और पिता डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती मना रहे हैं.
समाज और मानवता के कल्याण के लिए बाबा भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गए प्रयासों की सराहना के साथ साथ आम नागरिक को भी इस सम्बन्ध में जागरूक बनाने की दिशा में उनकी 125 वर्षगांठ के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है.
इस सम्बन्ध में मई 2015 में इस विषय पर चिंतन तथा कार्य करने के लिए की (किस प्रकार अम्बेडकर के सामाजिक योगदान और सिद्धांतों को उनके जन्म दिवस के अवसर पर लोकप्रिय बनाया जा सकता है) एक समिति गठित की गयी.
भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती समारोह के अवसर पर केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया
इसके अतिरिक्त दस रूपये तथा 125 रूपये के दो स्मरणीय सिक्के अम्बेडकर की स्मृति में 6 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जारी किए गए
संयुक्त राष्ट्र में भी पहली बार असमानताओं का मुकाबला करने हेतु सतत विकास लक्ष्यों की ओर ध्यान आकर्षित करने के कारण बाबा साहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक समारोह का आयोजन किया जायेगा.
इस सन्दर्भ में jagranjosh.com की करेंट अफेयर्स टीम भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब अम्बेडकर के योगदान को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत कर रही है.
मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे वह एक भारतीय राष्ट्रवादी, विधिवेत्ता, दलित, राजनीतिक नेता, अर्थशास्त्री और भारत में बौद्ध धर्म के प्रचारक थे.
भारत रत्न डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षों में देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके योगदान को हम निम्नांकित संदर्भो में देख सकते हैं -
भारतीय संविधान में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर का योगदान
• अम्बेडकर ने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पद्धति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत करने का प्रयास किया.
• वर्ष 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने के प्रयास में असफल होने पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया.
• वर्ष 1955 में अपना ग्रंथ ‘‘भाषाई राज्यों पर विचार‘‘ प्रकाशित कर आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को छोटे-छोटे और प्रबंधन योग्य राज्यों को पुनर्गठित होने प्रस्ताव दिया था, जो उसके 45 वर्षों बाद कुछ प्रदेशों में साकार हो पाया.
• निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, बडे आकार के राज्यों को छोटे आकार में संगठित करना, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, काम्पट्रोलर व ऑडीटर जनरल, निर्वाचन आयुक्त तथा राजनीतिक ढांचे को मजबूत बनाने वाली सशक्त, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीति की पूरी रुपरेखा तैयार की.
• प्रजातंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के तीनों अंगों न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका को स्वतंत्र और पृथक बनाया तथा समान नागरिक अधिकार के अनुरूप एक व्यक्ति, एक मत और एक मूल्य के तत्व को प्रस्थापित किया.
• विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की सहभागिता संविधान द्वारा सुनिश्चित की तथा भविष्य में किसी भी प्रकार की विधायिका जैसे ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, पंचायत राज इत्यादि में सहभागिता का मार्ग प्रशस्त किया.
• सहकारी और सामूहिक खेती के साथ-साथ उपलब्ध जमीन का राष्ट्रीयकरण कर भूमि पर राज्य का स्वामित्व स्थापित करने तथा सार्वजनिक प्राथमिक उद्यमों यथा बैकिंग, बीमा आदि उपक्रमों को राज्य नियंत्रण में रखने की सशक्त सिफारिश की तथा कृषि की छोटी जोतों पर निर्भर बेरोजगार श्रमिकों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए उन्होंने औद्योगीकरण की प्रक्रिया की वकालत की.
डॉ बी आर अम्बेडकर की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया
आर्थिक और वित्तीय योगदान
• बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के दूसरे शोध ग्रंथ ‘‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास‘‘ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई.
• भारत में रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर द्वारा लिखित शोध ग्रंथ ‘‘रूपये की समस्या-उसका उदभव तथा उपाय‘‘ और ‘‘भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास‘‘ ग्रन्थों तथा ‘‘हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य‘‘ के आधार पर 1935 में की गयी.
• कृषि में सहकारी खेती के द्वारा पैदावार बढाना, सतत विद्युत और जल आपूर्ति करने का उपाय बताया.
• औद्योगिक विकास, जलसंचय, सिंचाई, श्रमिक और कृषक की उत्पादकता और आय बढाना, सामूहिक तथा सहकारिता से प्रगत खेती करना, जमीन के राज्य स्वामित्व तथा राष्ट्रीयकरण से सर्वप्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी गणराज्य की स्थापना करने की विधियों पर प्रकाश डाला तथा उस दिशा में कार्य किया.
प्रशासनिक योगदान
• उन्होंने भारत के विकास हेतु मजबूत तकनीकी संगठन का नेटवर्क ढांचा प्रस्तुत किया.
• सन 1945 में उन्होंने महानदी का प्रबंधन की बहुउददे्शीय उपयुक्तता को देखते हुए देश के लिये जलनीति तथा औद्योगिकरण की बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां जैसे नदी एवं नालों को जोड़ना, हीराकुण्ड बांध,दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केन्द्रीय जल एवं विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किये तथा इस क्षेत्र में प्रयास किया.
• बाबा साहेब के प्रयास से सन 1944 में प्रस्तावित केन्द्रीय जल मार्ग तथा सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय द्वारा अनुमोदित किया गया तथा बड़े बांधोंवाली तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया गया.
सामाजिक सुरक्षा एवं श्रम कल्याण
• वायसराय की कौंसिल में श्रम मंत्री की हैसियत से श्रम कल्याण के लिए श्रमिकों की 12 घण्टे से घटाकर 8 घण्टे करवाया
• कार्य-समय, समान कार्य समान वेतन, प्रसूति अवकाश, संवैतनिक अवकाश, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, स्वास्थ्य सुरक्षा, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 बनाना, मजदूरों एवं कमजोर वर्ग के हितों के लिए तथा सीधे सत्ता में भागीदारी के लिए स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया.
• कर्मचारी राज्य बीमा के तहत स्वास्थ्य, अवकाश, अपंग-सहायता, कार्य करते समय आकस्मिक घटना से हुये नुकसान की भरपाई करने और अन्य अनेक सुरक्षात्मक सुविधाओं को श्रम कल्याण के अंतर्गत शामिल किया.
• कर्मचारियों को दैनिक भत्ता, अनियमित कर्मचारियों को अवकाश की सुविधा, कर्मचारियों के वेतन श्रेणी की समीक्षा, भविष्य निधि, कोयला खदान तथा माईका खनन में कार्यरत कर्मियों को सुरक्षा संशोधन विधेयक सन 1944 में पारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
• भारतीय सांख्यिकी अधिनियम पारित कराया ताकि श्रम की दशा, दैनिक मजदूरी, आय के अन्य स्रोत,मुद्रस्फीअति, ऋण, आवास, रोजगार, जमापूंजी तथा अन्य निधि व श्रम विवाद से संबंधित नियमों का आसानी से क्रियान्वयन हो सके.
• श्रमिकों के कल्याणार्थ स्वास्थ्य बीमा योजना, भविष्य निधि अधिनियम, कारखाना संशोधन अधिनियम, श्रमिक विवाद अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और विधिक हडताल के अधिनियमों को स्वीकृत करवाया.
बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया
धार्मिक योगदान
• मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊॅच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (वर्ष 1928),नाशिक सत्याग्रह (वर्ष 1930), येवला की गर्जना (वर्ष 1935) जैसे आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
• बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों में जागरूकता का प्रसार करने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक,बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.
• बौद्धिक, वैज्ञानिक, प्रतिष्ठा,भारतीय संस्कृति वाले बौद्ध धर्म की 14 अक्टूबर 1956 को 5 लाख लोगों के साथ नागपुर में दीक्षा ली तथा भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्स्थापित करने का प्रयास कर अपने अंतिम ग्रंथ ‘‘द बुद्धा एण्ड हिज धम्मा‘‘ के द्वारा निरंतर वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया.
• हिन्दू विधेयक संहिता के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहें.
निष्कर्ष
भारतीय संविधान के लागू होने के 66 वर्ष उपरांत भी अभी तक बाबा साहेब अम्बेडकर के सपनों के भारत की छवि पूरी तरह नहीं बन पायी है लेकिन हां इतना जरुर माना जा सकता है कि उनको प्रयासों ने सामजिक असमानता की खाई को पाटने की सम्पूर्ण कोशिस में सफलता अर्जित की. उनके प्रयासों से ही सामाजिक अस्पृश्यता का उन्मूलन हो पाया तथा भारत जैसे विविधतापूर्ण और बहुलवादी समाज में सरकार के संसदीय स्वरूप की उनकी वकालत समय की कसौटी पर खरी उतर पायी.
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